चंद घंटों में बना आशियाना, दम्पती की खुशी का नहीं रहा ठिकाना

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हनुमानगढ़। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन प्रेरणा पर चलकर दिन-रात जी-जान से मानवता भलाई के कार्यांे में जुटे डेरा सेवादार हर किसी के लिए मिसाल बने हुए हैं। कुछ ऐसा ही उदाहरण हनुमानगढ़ ब्लॉक की साध-संगत ने पेश किया है। साध-संगत ने पूज्य गुरुजी की ओर से शुरू की गई आशियाना मुहिम के तहत एक अति जरूरतमंद परिवार को आशियाना बनाकर दिया है। यही नहीं बेरोजगार इस परिवार की महिला सदस्य को टी-स्टॉल भी खुलवाई है ताकि यह परिवार भी दो समय की रोटी का प्रबंध कर सके। 45 मैम्बर सुमन कामरा इन्सां ने बताया कि हनुमानगढ़ टाउन के रूपनगर की रहने वाली खातून पत्नी मंगतू खान का परिवार आर्थिक रूप से काफी कमजोर है। यह परिवार इतना सक्षम नहीं था कि अपना नया आशियाना बना सके। आशियाना बनाना तो दूर इस परिवार के लिए दो समय की रोटी की व्यवस्था करना भी मुश्किल हो रहा था। मंगतू खान के परिवार में वह खुद व उसकी पत्नी है। बेटी की शादी हो चुकी है। परिवार का मुखिया मंगतू खान बीमार रहता है। इस कारण वह कोई कार्य नहीं कर पाता। ऐसे में पति-पत्नी का पेट भरने की जिम्मेदारी खातून पर आ गई। खातून इधर-उधर घरों में कार्य कर परिवार चला रही है। गत दिनों इनके पड़ोसियों ने मंगतू खान के घर आकर कहा कि डेरा सच्चा सौदा के शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादार मकान बनाने में उनकी मदद कर सकते हैं। इस पर खातून ने शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादारों को अपनी पीड़ा बताई। सेवादारों ने भी इस अति जरूरतमंद परिवार की मदद करने का भार अपने कंधों पर उठाया। इसके बाद शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादारों व साध-संगत ने रविवार को उक्त परिवार को चंद घंटों में आशियाना बनाकर दे दिया। मात्र एक दिन में अपना पक्का आशियाना खड़ा होने पर मंगतू खान व उसकी पत्नी खातून की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वे पूज्य गुरुजी व सेवादारों का धन्यवाद करते हुए नहीं थके। उधर, दूसरी तरफ सेवादारों में भी सेवा का गजब का जज्बा देखने को मिला। कड़ी धूप में पसीने से लथपथ सेवादार पूरा दिन आशियाना बनाकर देने के सेवा कार्य में जुटे रहे। रूपनगर के वाशिंदों ने डेरा सच्चा सौदा सेवादारों के इस कार्य की जमकर सराहना की। सेवा कार्य में ब्लॉक जिम्मेवार, शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेलफेयर फोर्स विंग के सेवादार, सुजान बहनों, साध-संगत का सहयोग रहा।

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