किसानों के मसीहा कामरेड़ श्योपत सिंह की पुण्यतिथि पर हुई आंखे नम

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– नगरपरिषद सभापति ने चौक के सौन्दर्यकरण व कामरेड़ श्योपत सिंह की अष्टधाुतु से निर्मित मूर्ति लगवाने की करी धोषणा
हनुमानगढ़। 
किसानों के मसीहा पूर्व सांसद कॉमरेड  श्योपत सिंह मक्कासर की पुण्यतिथि पर शनिवार को जंक्शन लाल चौक पर समस्त मजदूर साथियों द्वारा उन्हे पुष्पांजलि अर्पित करते हुए श्योपत सिह अमर रहे अमर रहे के जयघोष लगाये। कामरेड़ रामेश्वर वर्मा ने बताया पिछले कुछ वर्षों से लगातार उनकी पुण्यतिथि पर हम कार्यक्रम का हिस्सा रहे हैं लेकिन पहली दफा आज ऐसा हुआ कि माहौल गमगीन हो गया था। उनके बेटे भी श्रद्धांजलि सभा कार्यक्रम में पहुंचे थे वह ज्यादा नहीं बोल पाए कॉमरेड को याद करते हुए उनके आंसू छलक आए थे। ऐसा ही कुछ कॉमरेड चंद्रकला वर्मा के साथ हुआ वह भी अपनी बात ज्यादा लंबी नहीं रखते हुए खुद को संभाल नहीं पाए क्योंकि चंद्रकला वर्मा हमेशा उनके संघर्षों में साथ रही और कॉमरेड उन्हें अपनी बेटी के समान मानते थे। बहुत से किस्से उनकी जीवनी से जुड़े कॉमरेड रामेश्वर वर्मा,कॉमरेड रघुवीर वर्मा,कॉमरेड बहादुर सिंह,कॉमरेड आत्मा सिंह और शेर सिंह शाक्य ने रखें। श्रद्धांजलि सभा में हनुमानगढ़ नगरपरिषद सभापति गणेशराज बंसल ने कामरेड़ श्योपत सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए घोषणा की कि श्योपत सिंह की प्रतिमा का पुनर्निर्माण अष्टधातु से किया जाएगा और उनके कद के अनुसार बड़ी मूर्ति पुन.स्थापित की जाएगी यह सिलसिला जहां तक नहीं रुका। उन्होंने मजदूरों के कार्यालय के लिए नगरपरिषद की तरफ से जगह देने की घोषणा की इस बात के लिए लाल झंडे के साथियों ने सभापति का धन्यवाद ज्ञापित किया। कामरेड़ रघुवीर वर्मा व शेरसिंह शाक्य ने बताया कि कॉमरेड की जीवनी एक खुली किताब थी। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में अपने परिवार को कभी महत्त्व नहीं दिया उससे ज्यादा उन्होंने गरीबों मजदूरों किसानों और मजदूरों के लिए अपनी जिंदगी को समर्पित कर दिया। उन्हें मुख्यमंत्री से लेकर सरकारी नौकरी तक के ऑफर मिले थे लेकिन उन्होंने लाल झंडे से कभी समझौता नहीं किया। वह कॉमरेड शॉपत सिंह मक्कासर ही थे जो कह देते थे वह कर कर दिखाते थे। वेयर हाउस और अनाज मंडी में जब मजदूर 1 क्विंटल की बोरी नहीं उठा सकते थे तो तत्कालीन समय में जब वह बीकानेर से लोकसभा सांसद थे उन्होंने संसद में मजदूरों की बात अपनी ओर से रखी थी और उस एक की मंडल की बोरी को उन्होंने 50 किलो का करवा दिया। कॉमरेड हेतराम बेनीवाल का उनकी जीवनी में अहम योगदान रहा जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता। बहुत से अनेक किस्से आज हमें और आज की युवा पीढ़ी को सुनने को मिले जो संक्षिप्त में किसी एक जगह बयां नहीं किया जा सकता। कॉमरेड को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हम उन्हें क्रांतिकारी लाल सलाम पेश करते हैं उनके विचारों को हम हमेशा आगे बढ़ाएं उनके बताए रास्ते पर चलते हुए किसानों मजदूरों विद्यार्थी और नौजवानों की आवाज को हम लगातार बुलंद करेंगे।।

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