संवाददाता शाहपुरा शाहपुरा भीलवाड़ा रामसनेही भक्तों का महाकुंभ पंच दिवसीय फूलडोल महोत्सव शाहपुरा के अंतरराष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के रामनिवास धाम में 265 वर्षों सेआयोजित हो रहा है आज सोमवार को चतुर्थ दिवस पर हजारों हजारों भक्तों ने ब्रह्मलीन चमत्कारी संत रामचरण जी महाराज के समाधि स्थल स्तंभ जी पर श्रद्धालुओं द्वारा विधिवत पूजा आरती का आयोजन हुआ लाल चौक में स्थित कंवरपदाजी की छतरी पर विधिवत मुंडन संस्कार आयोजित हुआ लाल चौक के नीचे रामनिवास धाम मैं मन्नत के रूप में मांगी हुई संतान प्राप्त होने पर उनके वजन के बराबर मिश्री का तुलादान हुआ जिसे सैकड़ों भक्तों ने प्रसाद को विधिवत लूटा रामनिवास धाम के सूरज पोल के सामने रामस्नेही श्रद्धालुओं द्वारा मानी जाने वाली गुप्त गंगा के पास अस्तियां को भूमिगत किया गया सोमवार को विधिवत राम मेडिया से राजसी ठाठ से गाजे बाजे के साथ अरंबे वाणी का पाठ करते हुए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने “थाल” की शोभा यात्रा निकाली वर्तमान आचार्य की आरती के पश्चात रामसनेही श्रद्धालु आचार्य जी के चरण रज पाने की लालसा में हथेलिया जमीन पर बिछाये रहे रामनिवास धाम में संतों का भजन प्रसादी देखने के लिए सैकड़ों श्रद्धालु टकटकी लगाए देखते रहे आचार्य कक्ष के बाहर वर्तमान आचार्य के चरण धोकर चरणामृत वितरण विशेष भक्तों में किया गया दोपहर से पहले बारादरी में गांदी जी पर वाणीजी का वाचन किया गया और शहर गांव के राम द्वारा द्वारा आचार्य के चतुर्मास की अरदास के रूप में अरजीया पेश की गई कल विधिवत चतुर्मास की घोषणा की जायेगी भीलवाड़ा की होगी कल रंगपंचमी को फूलडोल महोत्सव का पांचवा दिन होगा और श्रद्धालुओं के लिए महाकुंभ का समापन लेकिन संत समाज मैं पूर्व में फूलडोल महोत्सव40 दिन का होता था लेकिन 25 दिन का हो गया उसके बाद रामत होकर सभी आगंतुक संत आचार्य से आज्ञा लेकर अपने-अपने रामद्वारा पहुंचेंगे संतों में मुख्यतः भेख भंडारी शंभू राम जी, दिग्विजय राम जीराम जगवल्लभ राम जी, ,निर्मल राम जी, भजना राम जी, राम विश्वास जी,सहेज राम जी, मनसुख राम जी, दिग्विजय राम जी,तोताराम जी, ईश्वर राम जी, हरिराम जी,रमता राम जी, मस्त राम जी,सेवाराम जी, बोलता राम जी, पप्पू राम जी, रामकृपाल राम जी,ललित राम जी, धीरज राम जी,मुमुक्षु राम जी सहित लगभग 150 संत रामनिवास धाम में उपस्थित हैं।रामस्नेही धाम शमशान में बसा हुआ है इसलिए से मरघट का दिव्य मंदिर कहा जाता है अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के संस्थापक प्रथम आचार्य रामचरण जी महाराज का जन्म संवत 1776 कीमाघ शुक्ल चतुर्दशी शनिवार को सोडा के ढुढास सुरसेन गांव में हुआ पिता का नाम बख्तराम एवं माता का नाम देऊजी था जीवन का पहला आश्रम पूर्ण करने के बाद साधु जीवन में आए और संवत1817 मैं भीलवाड़ा से 10 वर्ष तक साधना की और विक्रम संवत 1826 में शाहपुरा के राजा के आग्रह पर और रानी राजावत जी के आग्रह पर राजवंश के शमशान स्थल पर राजा भरत जी की छतरी में अपनी तपोस्थली बनाई संवत 18 सो 55 के पेशाब कृष्ण पंचमी गुरुवार के दिन उन्होंने अपने शरीर त्याग दिया रामचंद्र जी महाराज के 225 मुख्य शिष्य थे जिसमें 12 शिष्य मुख्य थे जिन्होंने रामचंद्र जी महाराज के सिद्धांतों का प्रचार प्रसार किया।रामसेवगजी, राम प्रताप जी, चेतनदास जी ,कान्हडदास जी, द्वारकादास जी ,कान्हड दास जी, भगवानदास जी, रूपदास जी, देवादास जी, मुरलीरामजी, तुलसीदास जी, रामसेवग जी, मुकुंददास जी ,सूरतराम जी, गंगादास जी ,रामसुख जी, किशनदास जी, उमेद राम जी, रामदास जी निर्मोही ,सेवादास जी, नारायण दास जी विदेही, सेवादास जी,रूप दास जी, जीवणदास जी,रामनिवास जी, इच्छाराम जी ,बालकदास जी ,रमताराम जी,मंशाराम जी, गोविंद राम जी, मायाराम जी,नहबलरामजी, समर्थराम जी, फकीर दास जी, जतराम जी,मोहन रामजी,शुकदेव,भाऊदासजी
भक्तरामजी, बल्लभ राम जी ,फतेहराम जी , रामसेवक जी , राम प्रताप जी ,चेतनदास जी , कन्हडदासजी,द्वारिकादास जी ,भगवानदास जी ,रामजन जी , नरोत्तमदास जी ,देवादास जी ,मुरलीधर जी ,तुलसीदास जी ,मुकुंददास जी ,उद्धव रामजी, दूल्हेराम जी , हरीभक्तजी,गंगादासजी,रामसुख जी , अलखराम जी , रूपवान जी (तीन),शिवरामदास जी , उमेदराम जी , श्यामदास जी(दो) , कृष्णराम जी ,रामदास जी ,कान्हडदास जी, मंशाराम जी ,सेवक दास जी, रूपराम जी (दो), सूरतराम जी ,चतुरदास जी(चार) ,किशोरदास जी , बालकराम जी, निश्चलराम जी,रामकिशोर जी , अचलराम जी ,जीवन दास जी(दो) ,रतनदास जी, काशीराम जी ,मपारामजी(तीन), क्षेमदास जी,बैरागी राम जी ,रामधुन जी(दो), रामनिवास जी,इच्छाराम जी,गोविंद राम जी (चार),रामसेवक जी ,माधव दास जी ,नारायणदास जी , रामदास जी(तीन), शिवरामदास जी , छीतम दास जी , बिहारीदास जी ,किशोरदास जी ,रामप्रसाद जी,जगरामदास जी ,रामसुख जी ,उद्धवराम जी , खुशाली राम जी(तीन) , नंदराम जी ,दयाराम जी (पाच), तोताराम जी ,समर्थरामजी, आत्माराम जी (चार),जगन्नाथ राम जी ,मालुमदास जी, निर्मलराम जी ,मोहनदास जी ,रामानंद जी ,मनोरथराम जी , क्षमा राम जी ,मुक्तराम जी(दो), रामस्वरूप जी ,रामकिर्तीजी, ब्रह्मदास जी , मंगलदास जी, मंगनीदास जी,रमता राम जी(दो), विश्वासी राम जी , चौकस राम जी ,विनोदीराम जी, त्यागराम जी , जैवतराम जी (दो),जसराम जी(दो), रामलाल जी(दो) ,रतिराम जी , रामकुशाल जी , सुखदेवजी(दो), मनोहरराम जी(दो), कल्याणदास जी(चार) ,अग्रदास जी, करुणाराम जी ,गंगादासजी(दो) , चरणदासजी(दो) , टिकमदास जी, गुलीबदासजी(दो), किर्तीराम जी , निर्गुण दास जी , भिष्मदास जी ,गंभीर दास जी प्रतीतराम जी,रामविनोदजी,बक्षीराम जी,भजनानंद जी,हेमदास जी ,हीरादास जी, नरहरिदास जी ,फकीर दास जी ,भाऊदास जी , हरिजन दास जी ,राममालूम जी , मुमुक्षु राम जी , रामस्वरूप जी ,विजयराम जी ,साधुराम जी , गरीबदास जी ,रूपराम जी ,गुलाबदास जी ,रामदास जी ,झुगती राम जी , राम किशोर जी ,रामगुमान जी,रु्परामजी,पोकरदासजी रामचरण जी महाराज के शिष्य हुए आज सोमवार को रामनिवास धाम में पूर्व मंत्री राजस्थान के सचेतक कालू लाल गुर्जर आचार्य के दर्शन किए और लुलासपीठ के निर्मल राम जी के गुरु दुर्लभ राम जी उनके गुरु निर्भय राम जी की छतरी के दर्शन किए।
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