भगवान शिव पार्वती ने की थी रामनिवास धाम पर पुष्प वर्षा

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जिला संवाददाता भीलवाड़ा। शाहपुरा भीलवाड़ा फाल्गुनी शुक्ल 11 से मनाया जाने वाला 265वा फूलडोल महोत्सव “थाल” पवित्र पुस्तक अणंभै वाणी की शोभायात्रा के साथ अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय का फूलडोल महोत्सव आरंभ हुआ
जानकारी के अनुसार नया बाजार प्रथम आचार्य दिवंगत ब्रह्मलीन संतरामचरण जी महाराज की मेडी राम मेडिया से बिडला तोषनीवाल मंत्री और कस्बे वासियों ने अणंभै वाणीजी को दंडवतप्रणाम कर छड़ी चंवर और छतरी के साथ धार्मिक श्रद्धा और भाव के साथ सैकड़ों भक्त परिपाटी के अनुसार शोभा यात्रा कस्बे के मुख्य मार्गो से होते हुए रामनिवास धाम अभिजीत मुहूर्त में पहुंचती है शोभायात्रा में तरुण बच्चों द्वारा भिन्न प्रकार के प्रतीक रूपी पकवान शक्कर से बनी मिठाई थाल में लेकर चलते हैं और रामनिवास धाम मैं सूरजपोल से पहुंचकर बारादरी में श्रीगादी जी के स्थान पर वर्तमान आचार्य रामदयाल जी महाराज को रामचरण जी महाराज द्वारा कही गई पवित्र धार्मिक पुस्तक अणंभै वाणजी को ग्रहण करते हैं और परिपाटी अनुसार संतों द्वारा भंडार ग्रह में सुरक्षित पहुंचाई जाती है और आचार्य का रामसनेही अनुयायियों द्वारा विधिवत आरती कर आचार्य से अमृतनुमा प्रसाद लेने की परंपरा है जिसे लेने के लिए भक्तों में होड़ लगी रहती है और इसी समय संतों का भोजन भी विधिवत होता है फूलडोल महोत्सव में एकम से लेकर पंचमी तक इसी परंपरा का अनुकरण किया जाता है और अभिजीत मुहूर्त में थाल के रामनिवास धाम में प्रवेश होते ही रामचरण जी महाराज की समाधि स्थल स्तंभ जी का दर्शन बंद कर दिया जाता है फूलडोल महोत्सव में श्याम जी के दर्शन करने के लिए दूरदराज से सैकड़ों हजारों किलोमीटर दूर से रामसनेही अनुयायी आते हैं और अपनी कामना को लेकर धागा बांधते हैं और पूर्ण होने पर मिश्री और नारियल का प्रसाद चढ़ाते हैं
गौरतलब है कि तपोस्थली पर अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के प्रथम दिवंगत ब्रह्मलीन आचार्य रामचरण जी महाराज ने राम नाम की भक्ति तपस्या की और राम नाम का सुर आकाश मार्ग से निकल रहे भगवान शिव पार्वती के कानों में पड़ा और रामचरण जी महाराज की रामनाम की तपस्या से प्रसन्न होकर उन पर पुष्प वर्षा की तभी से फूलडोल महोत्सव की परंपरा चली आ रही है।

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