पत्नियों से पीड़ित पुरुषों के लिए लड़ती ये महिला

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इन दिनों एक डॉक्युमेंट्री रिलीज से पहले चर्चा में है, दीपिका नारायण भारद्वाज पत्नियों से पीड़ित पुरुषों पर एक शॉर्ट फिल्म बना रही है। दीपिका कहती हैं, “क्या मर्द असुरक्षित नहीं हैं? क्या उन्हें भेदभाव का सामना नहीं करना पड़ता? क्या वे पीड़ित नहीं हो सकते?”

दीपिका आगे कहती हैं, “जिस तरह महिलाओं की लड़ाई लड़ने के लिए महिला होना ज़रूरी नहीं है, उसी तरह मर्दों के लिए लड़ने के लिए मर्द होना आवश्यक नहीं है। मैं महिला अत्याचारों की बात इसलिए नहीं करती क्योंकि उनकी बात करने वाले लाखों की संख्या में हैं।”

उनकी लड़ाई भारतीय दंड संहिता यानी आईपीसी की धारा 498ए (दहेज अपराध) के दुरुपयोग के ख़िलाफ है। दीपिका देशभर में घूमकर ऐसे मामलों की पड़ताल कर रही हैं। वो इस मुद्दे को लेकर एक डॉक्यूमेंट्री भी बना रही हैं, जिसका नाम है ‘मार्टर्स ऑफ़ मैरिज’।

भारत में जहाँ हर 15 मिनट में एक बलात्कार की घटना दर्ज होती है, हर पाँचवें मिनट में घरेलू हिंसा का मामला सामने आता है, हर 69वें मिनट में दहेज के लिए दुल्हन की हत्या होती है और हर साल हज़ारों की संख्या में बेटियां पैदा होने से पहले ही गर्भ में मार दी जाती हैं।

भारत में दिल्ली समेत कई जगहों पर दहेज के लिए हत्या करने के मामले सामने आने पर 1983 में आईपीसी में धारा 498ए शामिल की गई थी। दुल्हनों को दहेज के लिए जिंदा जलाने की घटनाएं होती हैं। अक्सर इन हत्याओं के लिए पीड़ित महिला के पति और उसके ससुराल वालों को ‘जिम्मेदार’ ठहराया जाता था।

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दीपिका कहती हैं, “ये क़ानून नेकनीयती से लाया गया था, लेकिन जो क़ानून जीवन बचाने के लिए लाया गया था, उसी ने कई ज़िंदगियां ले ली।” दहेज उत्पीड़न के ख़िलाफ कानून की आलोचना करने वाली दीपिका ही इकलौती नहीं हैं, भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी कुछ मौकों पर इस क़ानून के दुरुपयोग को लेकर चेतावनी दी है। यहाँ तक कि राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी इसके दुरुपयोग को लेकर चिंता जाहिर की है।

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पूर्व पत्रकार दीपिका का कहना है कि ‘व्यक्तिगत स्तर पर भयावह अनुभव’ झेलने के बाद वो 2012 से इस विषय पर शोध कर रही हैं। दीपिका बताती हैं, “साल 2011 में मेरे चचेरे भाई की शादी तीन महीने में टूट गई और उसकी पत्नी ने भाई और हमारे पूरे परिवार पर मारपीट करने और दहेज मांगने का आरोप लगाया। उसने हमारे खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज कराया। मुझे भी अभियुक्त बनाया गया और आरोप लगाया गया कि मैं भी उसे नियमित तौर पर मारा-पीटा करती थी।” दीपिका का कहना है कि ये वो घटना थी जिसने मुझे 498ए के खिलाफ खड़ा होने के लिए प्रेरित किया।