जिला संवाददाता भीलवाड़ा। भारत का प्राचीन गौरव संस्कृत भाषा अपने ही देश में संघर्ष कर रही है । विश्व की सर्वाधिक भाषाएं जहां संस्कृत से ही निकली है वही संस्कृत भाषा अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है । भारत में फिर से संस्कृत भाषा को लोक भाषा बनाने के लिए हम सब को आगे आना होगा । आज विश्व के अनेक देशों में संस्कृत सम्मान के साथ पढ़ाई जा रही है । दुनिया का सबसे अधिक ज्ञान, विज्ञान, कला, साहित्य संस्कृत के विपुल साहित्य में भरा पड़ा है । दुनिया के देश संस्कृत के ग्रंथों पर रिसर्च कर रहे हैं तो वही हमारे देश के युवा अंग्रेजी के पीछे भाग रहे हैं जो कि हमारा दुर्भाग्य है । यह बात संस्कृत भारती शाहपुरा द्वारा खामोर ग्राम में आयोजित 10 दिवसीय संस्कृत संभाषण शिविर के समारोप कार्यक्रम में बोलते हुए कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं प्रांत सह मंत्री मधुसूदन शर्मा ने कही । इस अवसर पर सारस्वत अतिथि के रूप में प्रांत विद्वत परिषद प्रमुख परमानंद शर्मा ने कहा कि भारत संस्कृत भाषा के बल पर विश्व गुरु था, है और आने वाले समय में भी भारत दुनिया का सिरमौर बनकर चमकेगा । अति विशिष्ट अतिथि एवं विभाग संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने संबोधित करते हुए कहा कि संस्कृत भारती निरंतर शिविरों के माध्यम से लोगों तक संस्कृत को आम बोलचाल की भाषा बनाने के लिए सतत प्रयत्नशील है । सेवा भारती के गुदड़मल गुर्जर ने संस्कृत, संस्कृति और संस्कार को भारत की आत्मा कहा । पूर्व सरपंच प्रतिनिधि हमताराम गुर्जर ने संस्कृत भारती द्वारा संस्कृत के प्रचार प्रसार के लिए किए जा रहे कार्यों की प्रशंसा की । शिविर संयोजक विशाल सारस्वत ने बताया कि संभाषण शिविर के समारोप कार्यक्रम से पूर्व गांव में शिक्षार्थियों द्वारा शोभायात्रा का आयोजन किया गया जिसमें खामोर ग्राम के मुख्य मार्गो से होते हुए संस्कृतमय वातावरण व उद्घोषों के साथ बालिका विद्यालय में पूर्ण हुई जहाँ अतिथियों के मार्गदर्शन में समारोप कार्यक्रम हुआ ।
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