तप, त्याग, जप के साथ साध्वियों का दीक्षा दिवस मनाया

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संवाददाता भीलवाड़ा। बुराई पर अच्छाई की विजय, अधर्म पर धर्म की विजय के पर्व के साथ ही आसींद के महावीर भवन में विराजित साध्वी आनंद प्रभा, साध्वी चंन्दनबाला का 45 वा संयम दीक्षा दिवस तप त्याग के साथ तपाचार्य साध्वी जयमाला के सानिध्य में मनाया गया। साध्वी डॉ चंद्रप्रभा के सानिध्य में चल रहे जैन विधि के अनुसार नवग्रह के अनुष्ठान के अंतिम दिन आज केतु का जाप किया गया उसके पश्चात शालीभद्र का जाप किया गया। शालीभद्र के जाप में 32 जोड़े बैठे गए जिसमे लक्की ड्रा से संघ अध्यक्ष चंद्र सिंह चौधरी का शालीभद्र हेतु चयन हुआ। साध्वी डॉ चंद्रप्रभा ने कहा कि भगवान पार्श्वनाथ को 108 अलग अलग नामो से स्मरण किया जाता है। शुद्ध मन से भगवान पार्श्वनाथ को याद किया जावे तो तुरंत अधिष्ठाय देव दर्शन दे देते है। नवग्रह के जाप के अंतिम दिन केतु के बारे में साध्वी ने बताया कि केतु प्रसन्न होता है तो भाग्य का उदय हो जाता है, निम्न होता है तो काफी उत्तार – चढ़ाव देखने को मिलते है। ग्रहों के साथ राहु- केतु मिल जाते है तो अच्छा भी कर सकते है और बुरा भी। घर, परिवार, समाज और देश मे आनंद बना रहे उसके लिए जाप किया जाता है। जैन आगम के अंदर अथाह खजाना है उसको पढ़ने और समझकर जीवन मे उतारने की जरूरत है। साध्वी आनंद प्रभा एवं साध्वी चंन्दन बाला ने आज के 45 वर्ष पूर्व संयम अंगीकार कर जैन धर्म की जिनवाणी का वाचन कर तप, त्याग , दान , समभाव के प्रति सभी को जागृत कर रहे है। सभी श्रावक – श्राविकाओं ने 45 वे संयम दीक्षा दिवस पर दोनों साध्वियों को शुभकामनाएं दी। जैन स्थानक में आज शालीभद्र के जाप में सजधज कर 32 जोड़े बैठे जिन्होंने शालीभद्र का जाप किया। साध्वी विनितरूप प्रज्ञा के सानिध्य में बच्चो ने शालीभद्र के जीवन पर रोचक नाटक की प्रस्तुति दी जिसकी सभी ने भूरी भूरी प्रंशसा की। बाहर से आये श्री संघो का स्थानीय संघ ने स्वागत किया।

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