नोटबंदी से 35 फीसदी नौकरियां खत्म, राजस्व पर बड़ा असर: AIMO रिपोर्ट

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दिल्ली: नोटबंदी के फैसले से एक तरफ कैश की किल्लत है तो दूसरी ओर नौकरियों पर बड़ा संकट। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक 8 नंवम्बर के बाद से 34 दिन के अंदर ही सूक्ष्म-लघु स्तर के उद्योगों में 35 फीसदी नौकरियां चली गईं वहीं राजस्व में भी 50 फीसदी की गिरावट हुई।  खबर के मुताबिक यह आंकड़े भारत में निर्माताओं की सबसे बड़ी संस्था ऑल इंडिया मैन्युफैक्चरर्स ऑर्गनाइजेशन ने दिए हैं।

AIMO द्वारा की गई एक स्टडी में मार्च 2017 से पहले नौकरियों में 60 फीसदी की गिरावट और राजस्व 55 फीसदी घटने के संकेत दिए हैं। AIMO के अंतर्गत मैन्युफैक्चरिंग और एक्सपोर्ट से जुड़े 3 लाख सूक्ष्म, मध्यम और बड़े स्तर के उद्योग आते हैं।

रिपोर्ट में बताया गया कि नोटबंदी के बाद से उद्योग में एक ठहराव देखने को मिला है, लेकिन छोटे और मध्यम स्तर के उद्यम (SMEs) सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। “AIMO सरकार द्वारा उठाए गए इस तरह के बड़े कदम (नोटबंदी) के तत्काल प्रभाव को समझता है, लेकिन एक महीने बाद भी इंडस्ट्री में सुधार नहीं हो पाया है।” नोटबंदी के प्रभाव को लेकर AIMO की यह तीसरी स्टडी है, जिसे पिछले महीने सभी सदस्यों को भेजा गया था। जल्द ही चौथी स्टडी भी आने वाली है।

रिपोर्ट के मुख्य अंश:

  • बड़े सड़क निर्माण जैसे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट से जुड़े मध्यम और बड़े स्तर के उद्योगों में 35 फीसदी नौकरी घटीं और 45 फीसदी राजस्व में गिरावट हुई। मार्च तक नौकरी और राजस्व में 40 फीसदी गिरावट होने की आशंका है।
  • निर्यात से जुड़े मध्यम और बड़े स्तर के उद्योगों, जिसमें विदेशी कंपनियां भी शामिल है, में 30 फीसदी नौकरी और 40 फीसदी राजस्व घटा है। मार्च तक नौकरियां घटने का आंकड़ा 35 फीसदी और राजस्व में गिरावट का आंकड़ा 45 फीसदी हो सकता है।
  • मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में मध्यम और बड़े स्तर के उद्योगों में पहले 34 दिन में सबसे कम नौकरियां (5 फीसदी) गई और राजस्व में 20 फीसदी की गिरावट हुई। यह आंकड़ा मार्च तक 15 फीसदी हो सकता है।

अध्ययन के मुताबिक उद्योगों को प्रभावित करने वाले कारकों में कैश की किल्लत, पैसे निकालने की लिमिट, स्टाफ की अनुपस्थिति, कमजोर रुपया, रियल स्टेट सेक्टर का रुक जाना, विदेशियों में भय, कमजोर तैयारी, जीएसटी को लेकर अनिश्चितता भी शामिल थे।

यह अध्ययन केई रघुनाथन की अध्यक्षता में बनाई गई एक्सपर्ट कमिटी ने किया था। केई रघुनाथन ने बताया कि अध्ययन की रिपोर्टों को केंद्रीय वित्त मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय को भेज दी गई लेकिन, अभी तक कोई भी प्रतिक्रिया नहीं आई है।