राग, द्वेष के कारण कषायों की उत्पति- साध्वी चंदनबाला

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संवाददाता भीलवाड़ा। आत्मा के पीछे 4 कषाय क्रोध, मान, माया , लोभ लगे हुए है। राग, द्वेष इनके बीज है इन्ही के कारण कषायों की उत्पति होती है। क्रोध को जितना ही सबसे बड़ी तपस्या है। क्रोध कभी भी अपने आप नही आता है तीन ऐसे कारण है जिनके कारण इंसान को क्रोध आता है। क्रोध करने से आत्मा भव भव के लिए भटकती रहती है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी चंदनबाला ने धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि आज जितने भी सयुक्त परिवार टूट रहे है उनमें मुख्य कारण आपस मे एक दूसरे पर क्रोध करना है, समभाव को भूल रहे है । तपस्या भले कम करो लेकिन क्रोध मत करो, जब क्रोध आता है तब विवेकरूपी आंखे बंद हो जाती है और जुबान चलने लग जाती है। क्रोध के समय कही गई वाणी व्यक्ति के विनाश का कारण बन जाती है। हमे सदैव क्रोध को त्याग कर बड़ो के प्रति आदर भाव, छोटो के प्रति प्यार करना चाहिए। आगामी 20 सितम्बर सोमवार को आचार्य जयमल महाराज का जन्म जयंती समारोह बड़े ही हर्षोल्लाष के साथ हम सभी मनाने जा रहे है। समारोह में बाहर से कई श्री संघो के आने की सूचना है। साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि क्रोध के कारण हमारी आत्मा तपस्या को नष्ट कर देती है, वर्षो तक की गई तपस्या एक कटु वचन कहने से समाप्त हो जाती है। हमे हमारी भीतर की गंदगी समाप्त करनी है तो जिनवाणी से ही समाप्त हो सकती है। जिनवाणी से साधक अपनी आत्मा को सुधार सकता है। धर्म सभा मे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 70 वे जन्म दिवस पर साध्वी मंडल एवं श्री संघ के पदाधिकारियों ने शुभकामनाएं देते हुए उज्ज्वल भविष्य की मंगलकामना की। तपस्या के क्रम में आज 9 उपवास के मोनिका महेश कूकड़ा ने प्रत्याख्यान लिए एवं तपाचार्य साध्वी जयमाला के गुप्त तपस्या चल रही है। बाहर से आये श्री संघो का स्थानीय श्रीसंघ ने स्वागत किया।

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