शुद्ध भाव व मन से सामायिक करे- साध्वी आनन्दप्रभा

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संवाददाता भीलवाड़ा। आसींद जिस घर मे सुबह माता पिता को प्रणाम किया जाता है, घर मे पूजा- पाठ , सामायिक की जाती है, शाम को प्रतिक्रमण किया जाता है वह घर मंदिर बन जाता है। जब समभाव आता है तभी सामायिक होती है। सामायिक ही वह सीढ़ी है जो हमे सम्यक्त्व की और बढ़ाती है, यही वो साधना है जो हमारे सम्यकदर्शन की शुद्धि करती है। उक्त विचार तपाचार्य साध्वी जयमाला की सुशिष्या साध्वी आनन्दप्रभा ने महावीर भवन में आयोजित धर्म सभा मे व्यक्त किये।साध्वी ने कहा कि 48 मिनिट की सामायिक करना एक तरह का सन्यास एवं मुनित्व अंगीकार करना है। सामायिक एवं स्वाध्याय ही जीवन की आध्यात्मिक प्रयोगशाला के दो महत्वपूर्ण सोपान है। बाहर से भीतर की और जाना ही सामायिक है। शुद्ध भाव और मन से अगर कोई एक सामायिक भी कर ले तो उसके जीवन का कल्याण हो जाता है।साध्वी चंदनबाला ने कहा कि जिनवाणी सुनकर अपने कषायों को समाप्त किया जा सकता है। घर एक उपवन है हमारे पूर्वज , माता पिता एक चंदन के पौधे की तरह है जिनकी महक पूरे परिवार सहित आस पास के लोगो को मिलती है । हमारा जीवन गुलाब के फूलों की तरह होगा तो घर एक प्रेम का मंदिर बन जायेगा। घर-परिवार और समाज मे प्रेम -मिठास रखने के लिए हमे दुराग्रह और पूर्वाग्रह से मुक्त जीवन जीना चाहिए। मेने बोला और सोचा वही सच है इसकी बजाय दूसरों में भी सच्चाई का पक्ष देखना चाहिए। संघ के सहमंत्री सुरेन्द्र संचेती ने बताया कि हर रविवार को आयोजित होने वाले नवकार महामन्त्र के सामूहिक जाप की 27 वी कड़ी 29 अगस्त को सुबह 8.30 बजे महावीर भवन में साध्वी मंडल के सानिध्य में आयोजित होगी। जाप के पश्चात लक्की ड्रा निकाला जाएगा जिसमे भाग्यशाली विजेता का संघ द्वारा सम्मान किया जायेगा। संघ के मंत्री देवीलाल पीपाड़ा ने धर्मसभा में कहा कि नवकार महामन्त्र के सामूहिक जाप में अधिक से अधिक संख्या में भाग लेकर पुण्य अर्जित करें।

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