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संवाददाता भीलवाड़ा। आत्मा का चिन्तन एवं मनन करे – साध्वी विनीतरूप प्रज्ञा म.सा.ना सुख अच्छा है ना दुःख अच्छा है, यह केवल इंद्रियों का माध्यम है। आत्मा का चिंतन एवं मनन करे, चिंता नही करे। उक्त विचार तपाचार्य जयमाला म.सा. की सुशिष्या विनीतरूप प्रज्ञा ने महावीर भवन में धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी श्री ने कहा कि इंसान अपने दुःखो से दुःखी नही है, दूसरों के सुखों को देख- देखकर दुःखी हो रहा है। हम दुःखो में से भी सुख खोज सकते है इसके लिए चिंतन करना पड़ेगा। सुख – दुःख मेहमान की तरह है आते जाते रहते है , इन दोनों पर संयम रख लिया तो जीवन आनंदमय हो जाता है l साध्वी चंदनबाला ने कहा कि जिनवाणी को जिन आगम में माँ कहा है। साधु संतों के 8 माता होती है। जिनवाणी पर प्राणी मात्र का अधिकार है, इसे सुनकर चिन्तन करे चिंता नही, शास्त्रों को पढ़कर अपने आचरण में लावे। साध्वी डॉ चंद्रप्रभा ने कहा कि बाहर की चीजों से मोक्ष नही मिल सकता है। सुख पुण्यवानी के बिना नही मिल सकता है। जिस परिवार में शांति , समभाव नही है वहाँ पर सुख आ ही नही सकता है। संघ के सहमंत्री सुरेन्द्र संचेती ने बताया कि 1 अगस्त रविवार को प्रातः 8.30 बजे से 9.30 बजे तक नवकार महामन्त्र का सामूहिक जाप होगा जिसमे अधिक से अधिक श्रावक -श्राविका भाग लेवे। धर्मसभा में पाली से त्रिशला महिला मंडल की अध्यक्षा ज्योति बाफना ने मधुर गीतिका प्रस्तुत की। संघ अध्यक्ष चन्द्र सिंह चौधरी, महिला मंडल अध्यक्षा मंजू कर्नावट, मंत्री देवी लाल पीपाड़ा ने सभी आगन्तुको का स्वागत किया।

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