सोहने नबी दिया शिफता कि आखा, कुल नबीयां दा सरदार आया…….

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-हिन्दू मुस्लिम भाईचारे की सांझ को मजबूत करने का प्रयास, सतनाम पंजाबी ने गाया गीत

हनुमानगढ़। सोहने नबी दिया शिफता कि आखा, कुल नबीयां दा सरदार आया……. जिया आसरा कुल बेसहारेया नू, ऐसा विच मदीने गमखार आया…….. यह अल्फाज है पंजाब के मलेरकोटला के पास चौदां के मूल निवासी सतनाम सिंह पंजाबी का। सोमवार को मशहूर सूफी गायकार सतनाम सिंह पंजाबी ने डबलीराठान स्थित पांच पीरों की दरगाह पर चादर चढ़ाकर समूचे विश्व की सुख शांति की मन्नत मांगी। इसके पश्चात डबली के ग्रामीणों ने पूर्व सरपंच बाले खां के नेतृत्व में सतनाम पंजाबी का सम्मान भी किया। बाले खां ने बताया कि पैंगंबर हजरत मोहम्मद साहेब के सम्मान में सोहने नबी की सिफते वाला गीतगाकर सिख-मुस्लिम संबंधों की सांझ को और गहरा करने का प्रयास करने के लिये सतनाम पंजाबी द्वारा यह गीत गाया गया। सतनाम पंजाबी ने बतायाकि 2013 में उन्होने पंजाबी युनिवर्सिटी पटियाला से सूफीजम की पढाई की जिसके बाद पंजाबी में लिखी गई कुरान शरीफ को उन्होने पढ़ा जिससे उन्हे नबी दिया शिफता गीत लिखने की प्ररेणा मिली। वह बताते है कि कुरान शरीफ पढ़ने के बाद उन्हे यह ज्ञान हुआ कि इंसान ही इंसान का भाई है। कुरान में सभी का भला करने और आपसी भाईचारा बनाने की सीख दी है। उन्होने बताया कि इस गीत में उन्होने हजरत मोहम्मद साहब के जीवन व उनकी शिक्षाओं का वर्णन किया है और बताया कि उनका नाम मात्र लेने से ही किस तरह दुख समाप्त हो जाते है। सतनाम पंजाबी ने कहा कि दुनिया के सभी कोनों में से रहने वाले मुसलमानों को समर्पित इस गीत से पंजाब और विदेशों से लाखों करोड़ों लोगों ने लाईक और कमेंट आ रहे है। सोमवार को पांच पीरों की दरगाह पर चादर चढाने के बाद सतनाम पंजाबी व ग्रामीणों ने दरगाह के पास पौधारोपण कर पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश दिया।

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