हनुमानगढ़। वर्ल्ड होम्योपैथिक डे शनिवार को जंक्शन में मनाया गया। इस मौके पर एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ नरेन्द्र सभरवाल थे। गोष्ठी के मुख्य अतिथि डॉ एसपी बराड़, डॉ.मुन्ना उपनेजा, वरिष्ठ साहित्यकार नरेश मेहन, हर्ष सिंगला, परमजीत सिंह थे। गोष्ठी का शुभारम्भ अतिथियों द्वारा होम्योपैथिक के जन्मदाता डॉक्टर सैमुअल के चित्र के समक्ष पुष्पांजलि अर्पित कर किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुये मुख्य वक्ता डॉ नरेन्द्र सभरवाल ने बताया कि डॉक्टर सैमुअल एक फिजीशियन थे जिन्होंने होम्योपैथिक दवाओं की खोज की थी। उन्होने बताया कि होम्योपैथिक दवाएं एक तरीके से वरदान मानी जाती है। उन्होने बताया कि एलोपैथी और आयुर्वेद की तरह होम्योपैथ भी एक चिकित्सा पद्धति है। होम्योपैथिक दवाइयां एलोपथी की तुलना में काफी सुरक्षित मानी जाती हैं। गोष्ठी के समापन पर केक काटकर डॉक्टर सैमुअल का जन्मदिन मनाया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार नरेश मेहन ने कहा कि बदलती जीवनशैली में होम्योपैथिक चिकित्सा आसान व कारगर सिद्ध हो रही है। इसका सभी को लाभ लेना चाहिये। क्या इसके भी साइड इफेक्ट्स हैं ! कर्यक्रम को संबोधित करते हुये वक्ताओं ने बताया कि होम्योपथी के साइड इफेक्ट्स काफी कम होते हैं। कभी.कभी ऐसा होता है कि किसी को बुखार की दवाई दी गई और उस व्यक्ति को लूज मोशनए उल्टी या स्किन पर ऐलर्जी हो हो जाए। दरअसलए ये परेशानी साइड इफेक्ट की वजह से नहीं है। ये होम्योपथी के इलाज का हिस्सा हैए लेकिन लोग इसे साइड इफेक्ट समझ लेते हैं। इस प्रक्रिया को ष्हीलिंग काइसिसष् कहते हैं जिसके द्वारा शरीर के जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं। 80 फीसदी मामलों में लोग होम्योपैथ के पास तब पहुंचते हैं जब एलोपैथी या आयुर्वेद से इलाज कराकर थक चुके होते हैं। कई बार तो 15 से 20 साल से इंसुलिन लेने वाले शुगर के पेशंट थक.हारकर होम्योपैथ के पास पहुंचते हैं। ऐसे मामलों में इलाज में वक्त लग सकता है।
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