अंग्रेजी काव्य की दो पुस्तकों का विमोचन

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हनुमानगढ। मरुधरा साहित्य परिषद व कागद फाउंडेशन की ओर से नव सृजन को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से आयोजित गोष्ठी में काव्य के सब रस बहे। टाउन की नई आबादी स्थित संतोष भवन में सजी महफिल में कवियों ने हास्य रस से गुदगुदाया तो प्रेम का जिक्र छेड़कर रुमानियत का अहसास कराया। सियासत और समाज के दोहरे मापदंडों पर व्यंग्य बाण भी चलाए गए। नारी पीड़ा को भी सश्कक्त ढंग से पेश किया गया। संगोष्ठी की अध्यक्षता बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने की। बतौर मुख्य अतिथि एडीईओ रणवीर शर्मा, रंगलाल बिश्नोई एवं रूपसिंह राजपुरी मौजूद रहे। संगोष्ठी का आगाज युवा कवि आशीष गौतम बागी ने अंगीठी शीर्षक से प्रेम रस में डूबी कविता के साथ किया। जयसूर्या ने राजस्थानी हास्य कविता सुनाई। विनोद यादव ने श्प्यो दिंदे ल्याके बुल्ट ते उड़दे काके्य सुनाकर गुदगुदाया। अदरीस रसहीन ने श्पहले तुम जिनकी ऐसी- तैसी करते, बातें बाद में आप भी उन जैसी करते हो्य सुनाकर राजनीतिक व्यवस्था पर कटाक्ष किया। एसीबीईओ चैनसिंह शेखावत ने कविता श्अलगनी है स्त्री घर में टंगी, इस दीवार से उस दीवार तक्य के जरिए स्त्री मन की व्यथा को सशक्त ढंग से प्रस्तुत किया।  वीरेन्द्र छापौला ने श् मैं तपती रेत और वो सावन की झड़ी्य शीर्षक कविता के जरिए सफलता के लिए किए जाने वाले संघर्ष को बयां किया। रंगलाल बिश्नोई ने कविताओं के जरिए नशा मुक्ति का संदेश दिया। साथ ही हास्य रचनाएं भी पढ़ी। काव्य गोष्ठी में मनीष जांगिड़, शिक्षक नेता हरलाल ढाका, तरुण शर्मा आदि मौजूद रहे। गोष्ठी के दौरान कवि मोहनलाल वर्मा के अंग्रेजी काव्य संग्रह श्दी सोंग ऑफ ह्यूमिनिटी्य तथा श्स्टॉप सेक्सुअल अक्यूसिंग्य का अतिथियों ने विमोचन किया। मोहनलाल वर्मा ने पुस्तक की विषय वस्तु से अवगत कराया। इश्क में बच्चे सा शायर प्रेम भटनेरी ने श्कैसा मासूम सा फूलों की तरह होता है। आदमी इश्क में बच्चों की तरह होता है।्य गजल सुनाकर वाहवाही लूटी। शायर सुरेन्द्र सत्यम ने श्मुझे आज आकर बताना यही था, तेरी नजर का निशाना सही था।्य गजल सुनाई। मरुधरा साहित्य परिषद के सचिव वरिष्ठ साहित्यकार नरेश मेहन ने घर, स्त्री, पेड़ आदि विषयों पर कविताएं सुनाकर वाहवाही बटोरी। हास्य कवि रूपसिंह राजपुरी हास्य रचनाएं सुनाकर रंग जमाया। कविता के जरिए अफसर, नेता आदि पर व्यंग्य भी किया। साथ ही नवोदित रचनाकारों को अच्छे लेखन के गुर बताते हुए पुस्तकें खरीदने को आदत बनाने एवं उनको अधिकाधिक बार पढने का संदेश दिया। वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने बेटी आ गई, बूढ़ा दरख्त आदि हाइकू सुनाकर गागर में सागर को चरितार्थ किया।

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