सपा में दंगल: 31 नामों के लिए अखिलेश ने की मुलायम सिंह से बगावत, सुलह की उम्मीद कम

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उत्तर प्रदेश: किसी भी क्षण चुनाव आयोग उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है और समाजवादी पार्टी पिता-पुत्र और चाचा की वजह से टूटने की कगार पर बैठी हुई है। आपको बता दें मुलायम और अखिलेश के बीच 31 नामों को लेकर विवाद है। मुलायम सिंह ने 393 कैंडिडेट्स के नाम तय किए। इसके बाद अखिलेश ने 235 कैंडिडेट्स की अपनी अलग लिस्ट जारी कर दी। बेटे ने 171 तो पिता ने 176 सिटिंग एमएलए को टिकट दिया। दोनों की लिस्ट में 145 नाम कॉमन हैं।

रामगोपाल यादव ने कहा कि अब समझौते की गुंजाइश कम ही है। रामगोपाल ने कहा कि 3 दिन इंतजार करें सब साफ हो जाएगा। रामगोपाल यादव ने कहा कि सपा के सिंबल पर अखिलेश के लोग ही चुनाव लड़ेंगे। इस बीच पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव  ने शनिवार को लखनऊ में पार्टी के उम्मीदवारों की बैठक बुलाई है।

प्रतीक यादव की पत्नी का नाम लिस्ट में नहीं:

28 दिसंबर को सामने आई सपा की लिस्ट में उनका नाम शामिल था, लेकिन अखिलेश यादव ने जारी की गई अपनी लिस्ट से उन्हें हटा दिया। इसके पीछे जो वजहें सामने आ रही हैं उसमें बड़ी वजह उनका शिवपाल गुट का करीबी होना माना जा रहा है। इसके साथ-साथ अपर्णा यादव, मुलायम सिंह यादव की दूसरी पत्नी साधना यादव के बेटे प्रतीक यादव की पत्नी हैं। ऐसी खबरें आई थी कि अखिलेश यादव और साधना यादव के बीच टकराव के चलते समाजवादी पार्टी में कहीं न कहीं झगड़ा बढ़ा।

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इसके साथ-साथ हाल ही में जब अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में पहली बार झगड़ा बढ़ा था तो उस समय ऐसी खबरें आई की पार्टी की ओर से अपर्णा यादव को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट करने की बात कही गई। माना जा रहा है कि अखिलेश यादव ने इन्हीं वजहों से उनका टिकट काटा होगा।

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अखिलेश का खेल खराब हो सकता है:
यह भी हो सकता है कि अखिलेश यादव अपने तमाम लोगों को निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने को कहें, वह खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं और विधान परिषद के सदस्य हैं। अखिलेश अपने उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार भी कर सकते हैं। लेकिन इसमें मुश्किल यह है की निर्दलीय उम्मीदवार अलग-अलग चुनाव चिन्हों पर चुनाव लड़ेंगे और तमाम दूसरे निर्दलीय उम्मीदवारों के बीच उनकी पहचान बन पाना मुश्किल है। ऐसे में ज्यादातर उम्मीदवारों पर हार का खतरा रहेगा और अखिलेश का खेल खराब हो सकता है।

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बाहुबलियों-माफियाओं को टिकट

यह तस्वीर दिखाकर शहला ताहिर शायद यह जाहिर करना चाहती हैं कि उनके सर पर शिवपाल यादव का साया है। वैसे उनके बारे में यह पहले से सबको मालूम है कि वह शिवपाल की करीबी हैं। इस बात की पुष्टि इस खास तस्वीर से होती है, इस साल नवाबगंज में शहला और उनके पति डॉक्टर ताहिर काफी विवादों में रहे।

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जुलाई में डॉक्टर ताहिर पर हॉस्पिटल में घुसकर डॉक्टर दंपति के साथ मारपीट करने का आरोप लगा जिसके बाद नवाबगंज में काफी बवाल हुआ। इसके विरोध में मेडिकल एसोसिएशन और भाजपा के नेताओं ने थाने को घेर लिया था। अगस्त में मेयर शहला ताहिर और उनके पति के खिलाफ डीएम व कमिश्नर के पास कुछ लोगों ने शिकायत की थी कि वे नियम-कानूनों को ताक पर रखकर नवाबगंज में भूमाफिया के साथ मिलकर दुकानों का अवैध निर्माण करा रहे हैं।