परिचर्चाओं और काव्य प्रस्तुतियों के बीच समपन्न हुआ युगीन कला साहित्य प्रवाह का अधिवेशन

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संवाददाता भीलवाड़ा। युगीन साहित्य और कला प्रवाह का प्रथम अधिवेशन पुर अधरशिला तीर्थ के प्रांगण में संपन्न हुआ जिसमें जिले भर के लगभग सत्तर कवियों, विचारकों, लेखकों, कलाकारों, पाठकों और कला साहित्य से जुड़े नवांकुरों ने भाग लिया। संस्थापक योगेश दाधीच योगसा ने सभी का परिचय कराया। बालसाहित्यकार डॉ० सत्यनारायण सत्य ने बताया कि अच्छे साहित्य के लिए प्रकाशक खुद आगे होकर मांग करते हैं। संस्था के संरक्षक पूर्व अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी गोपाल लाल दाधीच ने नवोदित रचनाकारों को अधिक से अधिक पढ़ने के लिए प्रेरित किया। वहीं सतीश आस ने बताया कि विविध विधाओं के बजाय किसी एक विधा पर काम किया जाए तो दक्षता होने के साथ साथ रचनाएं अपनी पहचान भी बनाती है। जयपुर से आए अश्विनी व्यास ने रचनाकारों को निर्देशित किया कि यथार्थ लेखन पर बहुत कम कलम चलती है। हमें प्रतिष्ठित पुस्तकों को पढ़ते रहना चाहिए और देश और समाज के यथार्थ पर अपना लेखन करना चाहिए।

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