आखिर क्यों है ‘शिवाजी स्मारक’ को लेकर मछुआरों में इतना गुस्सा

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मुंबई: 36 करोड़ रूपये की लागत से बनने जा रहे छत्रपति शिवाजी मेमोरियल पहले ही विवादों में घिरता नजर आ रहा है। मछुआरों के नेता दामोदर तांडेल ने कहा है कि शिवस्मारक के निर्माण से मछुआरे मछली पकड़ने पानी में नहीं जा सकेंगे।उधर, पर्यावरणविद प्रदीप पाताड़े का कहना है कि, समुद्र में होने जा रहे इस निर्माण से मुम्बई की गिरगाव चौपाटी ख़त्म हो सकती है। साथ ही, इससे समुद्री पर्यावरण को गंभीर खतरा पैदा होगा।
पर्यावरण संरक्षकों ने शिवस्मारक के खिलाफ़ नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में तो शहर के कुछ नागरिक ऑनलाइन पिटीशन के जरिए हाइकोर्ट में इस निर्माण का विरोध कर रहे हैं। विरोधी याद दिला रहे हैं कि, सोलहवीं शताब्दी के राजा शिवाजी के बनाए कई किले महाराष्ट्र में आज भी जर्जर अवस्था में हैं। उनका संरक्षण ज्यादा जरूरी है। तो दूसरी तरफ़ महाराष्ट्र सरकार अपने तर्क के साथ शिवाजी मेमोरियल का समर्थन कर रही है और साथ ही भरोसा दिला रही है कि किलों के संवर्धन का काम शुरू हो चुका है।

स्मारक के फैसले से मराठा आंदोलन नरम पड़ेगा-

मिली खबरों के अनुसार भूमि पूजन समारोह में शिवाजी के वंशजों को भी बुलाया गया है। समारोह को मराठा समुदाय को लुभाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। हाल में मराठा समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में मूक मोर्चे निकाले थे। मराठा आंदोलन के कारण जिस तरह से ओबीसी और दलितों के मोर्चे निकले हैं उससे भाजपा को कोई बहुत बड़ा फायदा नहीं हुआ है। लेकिन ये बात सही है कि इस स्मारक के कारण पूरे मराठा नहीं तो कम से कम एक वर्ग बीजेपी के प्रति नरम हो भी सकता है।

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इसलिए बहुत खास होगा यह स्मारक

  • यह दुनिया का सबसे बड़ा स्मारक होगा।
  • यह अरब सागर में तट से डेढ़ किलोमीटर अंदर बनेगा।
  • स्मारक की कुल ऊंचाई 192 मीटर होगी।
  • इसका प्लेटफॉर्म 77 मीटर होगा।
  • इस प्लेटफॉर्म पर घोड़े पर बैठे छत्रपति शिवाजी की मूर्ति 114 मीटर की होगी।
  • अमेरिका के स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से भी बड़ी मूर्ति होगी।
  • पूरे स्मारक को 13 हेक्टेयर में फैले चट्टानों पर बनाया जाएगा।
  • इस स्मारक में एमपी थिएटर, लाइब्रेरी, फूड कोर्ट में होगा।
  • इस कुल 3600 करोड़ की लागत आएगी।

सरकार की तिजोरी खाली-

राज्य के विकास के लिए जो बड़ी महत्वपूर्ण परियोजनाएं आने वाली हैं उसके लिए सरकार की तिजोरी में पैसे नहीं हैं। ऐसे वक़्त में सरकार इस स्मारक के लिए कितना पैसा देगी ये बड़ा कठिन सवाल लगता है। सरकार इस कार्यक्रम के लिए भीड़ जुटा रही है तो उसका मक़सद सीधा है कि आनेवाले समय में महाराष्ट्र में जिला परिषद और महापालिका चुनाव होने हैं। तो इस परीक्षा की तैयारी अभी से शुरू कर दी।

आपको बता दें राज्य की सरकार पर जबरदस्त दबाव है कि, जितना भव्य डॉ आंबेडकर स्मारक होगा, शिवाजी मेमोरियल भी उतना ही भव्य होना चाहिए। जातिगत राजनीति का यही दबाव विरोध के तमाम मुद्दों को अनसुना कर दे रहा है।