शरद पूर्णिमा: अमृत की रात, खुले आसमान में खीर रखने का विशेष महत्व

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शरद पूर्णिमा जिसे कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहते हैं; हिन्दू पंचांग के अनुसार आश्विन मास की पूर्णिमा को कहते हैं। ज्‍योतिष के अनुसार, पूरे साल में केवल इसी दिन चन्द्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। हिन्दू धर्म में इस दिन कोजागर व्रत माना गया है। इसी को कौमुदी व्रत भी कहते हैं। इसी दिन श्रीकृष्ण ने महारास रचाया था। मान्यता है इस रात्रि को चन्द्रमा की किरणों से अमृत झड़ता है। तभी इस दिन उत्तर भारत में खीर बनाकर रात भर चाँदनी में रखने का विधान है। 

शरद पूर्णिमा की रात का वैज्ञानिक मत है कि इस दिन चन्द्रमा से विशेष प्रकार की किरणें निकलती हैं जिसके अन्दर विशेष प्रकार के लवण व विटामिन होते हैं। जिस कारण चन्द्रमा की रोशनी खाने की किसी भी चीज पर पड़ जाए तो उसकी गुणवत्ता और भी बढ़ जाती है। इसीलिए इस रात को चन्द्रमा की रोशनी में खीर रखने का विशेष महत्व है जिससे पेट, गैस, कब्ज और आंखों के रोगियों के लिए विशेष लाभदायक हैं। खुले आसमान मेें रखी खीर खाने से मलेरिया का खतरा भी कम हो जाता है। इस बार पूर्णिमा 30 अक्टूबर सायं 5:30 बजे से 31 अक्टूबर सायं 7 बजे तक रहेगी।

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