दिल्ली: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी स्कूल के स्टूडेंट्स को सेकेंडरी क्लास में अब तीन लैंग्वेज पढऩा पड़ सकता है। सीबीएसई बोर्ड ने क्लास 10वीं तक त्रिभाषा फॉर्मूले को लागू करने की सिफारिस मानव संसाधन विकास मंत्रालय से की है। वहीं मंत्रालय की ओर से बोर्ड की इस सिफारिश को स्वीकार करने के संकेत दिए है।
सीबीएसई बोर्ड द्वारा क्लास आठवीं तक त्रिभाषा फॉर्मूला लागू है। तमिलनाडु और पुडुचेरी को छोड़कर अन्य सभी राज्य क्लास आठवीं तक तीन लैग्वेज को जगह दी हैं। इसके तहते हिंदी, इंग्लिश के अलावा आठवीं अनुसूचित में शामिल 22 भाषाओं में से किसी एक भाषा को स्टूडेंट्स चुन सकते है। इसमें संस्कृत भी शामिल है। गैर हिंदी राज्य तो अपने राज्य भाषा को चून लेते है लेकिन हिंदी राज्य के पास संस्कृत के अलावा कोई ओर विकल्प नहीं होता था । इसलिए हिंदी राज्यों में क्लास दसवीं तक संस्कृत की पढ़ाई अनिवार्य हो जाएगी
स्टूडेंट्स पर बढ़ेगा बोझ
तीन लैंग्वेज बढऩे के साथ ही स्टूेडेंट्स पर बोझ भी बढ़ेगा। विज्ञान और मैथ विषयों के स्टूडेंट्स के साथ इतिहास , समाज विज्ञान जैसे विषयों के स्टूडेंट्स पर बोझ बढ़ जाएग। जबकि दो भाषाएं हिंदी और इंग्लिश भी पढऩी अनिवार्य है। ऐेसे में एक ओर लैग्वेज की अनिवार्यता से स्टूडेंट्स पर अनावश्यक बोझ बढऩे की संभावना है।
संस्कृत अनिवार्य नहीं
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि संस्कृत अनिवार्य बनाए जाने के बारे में कहा कि सरकार किसी भी भाषा को अनिवार्य नहीं बनाएगी। लेकिन जहां तक त्रिभाषा फार्मूले को लागू करने का बात है यह कोई आज का नहीं बल्कि कोठारी आयोग की सिफारिश थी। उन्होंने कहा कि सीबीएसई की सिफारिश जैसे ही सरकार के पास आएगी इसके बारे में उचित डिसिजन लिया जाएगा।