शाहपुरा-बछ बारस का पर्व हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया ।बछ बारस उत्सव को ‘वत्स द्वादशी’ के नाम से भी जाना जाता है। बाछ बारस कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष को भी मनाया जाता है। साल में दो बार गाय और बछड़े की पूजा का विधान है। हिंदू धर्म में गाय को पूजनीय माना गया है और गाय की पूजा और दान का महत्व बहुत ही अधिक माना गया है। मान्यता है कि यदि गौ माता के दर्शन भी हो जाएं तो दिन शुभ होता है। महिलाओं द्वारा अपने परिवार की खुशहाली एवं पुत्र की दीर्घायु कामना को लेकर व्रत किया गया। कई महिलाओं ने कथा सुनकर अपने व्रत का उद्यापन भी किया महिला शोभिका जागेटिया ने बताया कि इस दिन गाय और बछड़े की एक साथ पूजा करने की मान्यता है आज के दिन मक्की से बनी हुई चीजों का सेवन किया जाता है आज के दिन गेहूं बिल्कुल नहीं खाया जाता है और कटी हुई कोई भी चीज का सेवन नहीं किया जाता है नींबू मिर्ची सब्जियां एक दिन पहले ही काट दी जाती है गाय को भी चना चने का सत्तू मक्की चढ़ा कर ही पूजा की जाती है
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