संस्कृति और संस्कारों का निर्माण संस्कृत से होता है- पण्ड्या

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शाहपुरा-दुनिया के देशों को आज अच्छी संस्कृति और संस्कारों की आवश्यकता है । संस्कृति और संस्कारों के अभाव में दुनिया के देशों का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है । ऐसे में भारत ही एक आशा की किरण नजर आती है क्योंकि संस्कृति और संस्कारों का निर्माण संस्कृत से होता है और संस्कृत भारत की आत्मा है । संस्कृत विश्व की भी सबसे प्राचीन भाषा है और इसी भाषा में संस्कार, संस्कृति और सभ्यता का निर्माण होता है । इसलिए आज वर्तमान युग में भारत ही नहीं अपितु दुनिया के कोने कोने तक संस्कृत भाषा को पहुंचाने की आवश्यकता है । यह बात संस्कृत भारती भीलवाड़ा विभाग द्वारा आयोजित ऑनलाइन बैठक में बोलते हुए प्रांत संगठन मंत्री देवेंद्र पंड्या ने कही । देवेंद्र पंड्या ने कहा है कि संस्कृत भाषा को लोगों के घर-घर तक पहुंचाने का संकल्प संस्कृत भारती ने लिया है और इस हेतु समय-समय पर कई कार्यक्रमों का आयोजन संस्कृत भारती समाज चेतना के लिए करती हैं । कार्यक्रम को प्रांत गण सदस्य डॉ कृष्ण कुमार कुमावत ने भी संबोधित करते हुए कहा है कि संगठन को मजबूत करने के लिए कार्यकर्ताओं को सक्रिय होकर समाज के बीच जाना होगा । विभाग संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने बताया कि बैठक में कई विषयों पर चर्चा की गई जिसमें विभाग द्वारा संस्कृत संभाषण शिविर का आयोजन, संस्कृत दिवस पर संस्कृत सप्ताह का आयोजन, एक कार्यकर्ता एक पेड़ अभियान, समाज जागरण हेतु संस्कृत संध्या का आयोजन एवं संस्कृत भाषा लोक भाषा हो इसके लिए घर-घर तक संस्कृत का संदेश पहुंचाने का लक्ष्य लिया गया । बैठक को प्रांत विद्वत परिषद प्रमुख परमानंद शर्मा, प्रांत शिक्षण प्रमुख मधुसूदन शर्मा, भीलवाड़ा विभाग संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने भी सम्बोधित किया । बैठक में शाहपुरा जिला संयोजक भगवान लाल गोस्वामी, आसींद जिला संयोजक देवीलाल प्रजापत, भीलवाड़ा जिला संयोजक कैलाश चंद्र मेघवाल, भीलवाड़ा महानगर संयोजक हनुमान शर्मा, शाहपुरा जिला महिला प्रमुखा पूजा गुर्जर, कोटडी विकास खंड संयोजक रामेश्वर लाल रेगर, अरवड़ ग्राम प्रमुख अभिषेक प्रजापति, आंटोली ग्राम प्रमुख धनराज गुर्जर, करेड़ा विकास खंड संयोजक हेमंत शर्मा, मोटरास ग्राम प्रमुख रवि साहू, शिक्षण प्रमुख सुनील सेन, महेंद्र गुर्जर, शंभूपुरा ग्राम प्रमुख विष्णु कुमावत, शिक्षण प्रमुख लोकेश सेन आदि कार्यकर्ता उपस्थित थे

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