70% मरीजों का डेटा नहीं होने का नतीजा, भारत में कोरोना संक्रमण 2 लाख के पार, पढ़ें ICMR की ये रिपोर्ट

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नई दिल्ली: अजीब हाल है एक तरफ देश में कोरोना के मरीज 2 लाख के पार हो चुके हैं और जल्द ही इनकी संख्या 3 लाख भी पहुंच जाएगी। ऐसे बुरे हालात में एक दिल दुखाने वाली खबर आई है। दरअसल, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (Coronavirus ICMR Tests) और पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया की तरफ से देश में कोरोना टेस्टिंग को लेकर एक स्टडी की गई है।

इस स्टडी में सामने आता है कि 22 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच तीन महीनों में जितने कोरोना मरीजों की टेस्टिंग हुई थी, उनमें से 70.6% मरीजों का डेटा ही नहीं रखा गया। स्टडी कहती है कि डेटा नहीं होने से देश में कोरोनावायरस किस तरह से फैल रहा है? इसे समझना मुश्किल है। इस स्टडी के मुताबिक, 22 जनवरी से 30 अप्रैल के बीच मिले कोरोना पॉजिटिव मरीजों में से 28% ऐसे थे, जिनमें कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे। 30 अप्रैल तक देश में 40 हजार 184 कोरोना मरीज थे।

इस दौरान जितने टेस्ट हुए थे, उनमें 67% पुरुष और 33% महिलाएं थीं। हर 10 लाख में से 41.6 पुरुषों और 24.3 महिलाओं की जांच हुई। हालांकि, पुरुषों की तुलना में ज्यादा महिलाओं की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जितने टेस्ट हुए, उनमें से 3.8% पुरुष और 4.2% महिलाएं पॉजिटिव थीं।

स्टडी को तैयार करने के लिए 10 लाख 21 हजार 528 टेस्ट और 40 हजार 184 कोरोना पॉजिटिव मरीजों का डेटा एनालाइस किया गया। ये स्टडी सुझाव देती है कि सरकार को ज्यादा से ज्यादा कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग और टेस्टिंग करने की जरूरत है। आपको बता दें, इसमें आईसीएमआर सरकारी एजेंसी है, जबकि पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया एक पब्लिक-प्राइवेट एजेंसी है। इसमें कुछ इंडिपेंडेंट रिसर्चर भी शामिल थे।

जब डेटा नहीं तो कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी ठीक नहीं-
स्टडी में सामने आया है कि हमारे पास 22 जनवरी से 30 अप्रैल के कोरोना की जांच के लिए होने वाले आरटी-पीसीआर के जितने टेस्ट हुए, उनमें से 70.6% लोगों का डेटा ही नहीं था। इसका नतीजा ये हुआ कि पॉजिटिव मरीजों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग भी ठीक तरीके से नहीं हो सकी और कोरोना जैसी बीमारी को रोकने के लिए कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग बहुत जरूरी होती है।

30 अप्रैल तक देश में 40 हजार 184 मरीज कोरोना पॉजिटिव मिले थे। इन मरीजों से संपर्क में आए सिर्फ 20.4% यानी 8 लाख 20 हजार 320 लोगों के ही टेस्ट हुए। इनमें भी 6% ही ऐसे लोग थे, जो मरीजों के करीबी रिश्तेदार, दोस्त थे। बाकी बचे 14% ऐसे लोग थे, जो मरीज से किसी न किसी तरह से संपर्क में आए थे। जैसे- डॉक्टर, हेल्थकेयर स्टाफ, पड़ोसी।

44.2% लोगों का पता ही नहीं चला संक्रमण कैसे फैला-
स्टडी के मुताबिक, 30 अप्रैल तक 10.21 लाख से ज्यादा टेस्ट हुए थे, जिसमें से 40 हजार 184 लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जितने लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई, उनमें से 11 हजार 295 यानी 28.1% मरीज ऐसे थे, जिनमें कोरोना के लक्षण ही नहीं थे। इतना ही नहीं, इस बीच 17 हजार 759 यानी 44.2% लोगों की रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी। ये वो लोग थे, जिनके बारे में ये तक नहीं पता चल सका कि इनमें संक्रमण कैसे फैला?

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