AIADMK का दावा: जयललिता की मौत के सदमे से गई 77 लोगों की जान

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चेन्नई: तमिलनाडु के सत्तारूढ़ दल अन्नाद्रमुक ने बुधवार को कहा कि अम्मा की बीमारी और मृत्यु के बारे में जानने के बाद दुख और सदमे से 77 लोगों की मृत्यु हुई है।’’ इसबीच, केन्द्रीय खुफिया एजेंसी ने अभी तक 30 लोगों के मरने और चार लोगों की तरफ से आत्महत्या का प्रयास करने की बात कही है। पार्टी ने प्रत्येक पीड़ित परिवार को तीन-तीन लाख रुपए की सहायता राशि देने की घोषणा की।

अन्नाद्रमुक ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि उनकी बीमारी का मतलब 22 सितंबर को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराए जाने से था या चार दिसंबर को दिल का दौरा पड़ने से। पार्टी ने राज्य के विभिन्न हिस्सों में मरे 77 लोगों की सूची भी जारी की है।

MGR के निधन के बाद हिंसा में 29 लोग मारे गए थे
– मुरुथुर गोपालन रामचंद्रन (MGR) ने डीएमके से अलग होकर 1972 में एआईएडीएमके पार्टी बनाई और 5 साल बाद ही सीएम भी बन गए।
– फॉलोअर्स MGR को भगवान से कम नहीं मानते थे। MGR के निधन के वक्त पूरे तमिलनाडु में दंगे शुरू हो गए थे।
– उस वक्त की मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं, “भीड़ ने दुकानों, सिनेमाघरों, पब्लिक और प्राइवेट प्रॉपर्टी को निशाना बनाना शुरू कर दिया था।”
– MGR के फ्यूनरल को अब तक के सबसे ज्यादा वॉयलेंट फ्यूनरल में से एक माना जाता है।
– इस अंतिम संस्कार में 10 लाख लोग शामिल हुए थे, जिन्हें संभालना पुलिस के लिए नामुमकिन साबित हो रहा था।
– इसी दौरान हिंसा भड़क गई, जिसमें 29 लोगों की जान चली गई और 47 पुलिसवाले बुरी तरह घायल हो गए।
– बता दें एमजीआर जयललिता के मेंटर थे। वे ही अम्मा को राजनीति में लाए थे।
– रिपोर्ट्स के मुताबिक, MGR की मौत के बाद दुखी होकर 30 लोगों ने खुदकुशी भी कर ली थी।
 1987 ना दोहराया जाए इसलिए अलर्ट थी केंद्र सरकार
– लगातार दूसरी बार 2016 में सरकार बनाने के बाद MGR और जयललिता की लोकप्रियता की तुलना की जाने लगी।
– इसकी एक झलक तब देखने को मिली, जब बेंगलुरु कोर्ट ने उन्हें दोषी बताया था।
– इस दौरान AIADMK के वर्कर्स बेकाबू हो गए थे और उन्होंने पब्लिक प्रॉपर्टी को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया था।
– इसके बाद जब जयललिता की सेहत बिगड़ी और हालात गंभीर हो गए तो केंद्र ने पूरे मामले पर नजर बनाए रखी।
– गृहमंत्री खुद हालात पर नजर रख रहे थे, ताकि 1987 जैसी घटनाएं दोहराई ना जा सकें।