महासागर और मौसम के अध्ययन के लिए तैयार किये गये स्कैटसैट-1 (एससीएटीएएटी-1) और सात अन्य उपग्रहों को लेकर पीएसएलवी सी-35 ने सोमवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। स्कैटसैट-1 से इतर सात उपग्रहों में अमेरिका और कनाडा के उपग्रह भी शामिल हैं।
पहली बार दो अलग-अलग कक्षाओं में प्रक्षेपण
स्कैटसैट-1 के अलावा, इसरो का 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी रॉकेट दो भारतीय विश्वविद्यालयों के उपग्रह भी साथ लेकर गया है। इसके अलावा तीन उपग्रह अल्जीरिया के हैं और एक-एक उपग्रह अमेरिका और कनाडा का है। पीएसएलवी सी-35 ने चेन्नई से लगभग 110 किलोमीटर दूर स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह नौ बजकर 12 मिनट पर उड़ान भरी। यह पहली बार है, जब पीएसएलवी दो अलग-अलग कक्षाओं में पेलोड प्रक्षेपित करेगा। इस काम के लिए चार चरणों वाले इंजन को दो बार दोबारा शुरू किया जाएगा।
मौसम की भविष्यवाणी करने में मिलेगी मदद
पीएसएलवी सी-35 चेन्नई से करीब 110 किमी दूर स्थित स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से सुबह नौ बजकर 12 मिनट पर अपने सफर के लिए रवाना हुआ। स्कैटसैट-1 एक प्रारंभिक उपग्रह है और इसे मौसम की भविष्यवाणी करने और चक्रवातों का पता लगाने के लिए है। इसरो ने कहा कि यह स्कैटसैट-1 द्वारा ले जाए गए कू-बैंड स्कैट्रोमीटर पेलोड के लिए एक ‘सतत’ अभियान है।