मन की बात में पीएम मोदीउरी पर बोले, 1965 की जंग जैसा आक्रोश

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नईदिल्ली- उरी हमले को लेकर देशभर में कई बयानबाजी हुई लेकिन पीएम मोदी की पाक को लेकर जनता राय जानना चाहती थी। जिसकी चुप्पी पीएम ने तोड़ी हुए देश के आक्रोश की तुलना 1965 के युद्ध से करते हुए कहा कि इस आतंकी हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को निश्चित तौर पर दंडित किया जाएगा तथा उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सेना बोलती नहीं, बल्कि पराक्रम दिखाने में विश्वास रखती है।

कश्मीर के लोगों के लिए संदेश देते हुए मोदी ने कहा कि ‘शांति, एकता और सद्भाव’ के माध्यम से ही समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और उन्होंने भरोसा जताया कि सभी मुद्दों का हल बातचीत के जरिए किया जा सकता है। अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मोदी ने संबोधन की शुरुआत 18 सितम्बर को हुए उरी हमले में शहीद 18 जवानों को श्रद्धांजलि देने के साथ की।

उन्होंने कहा, ‘यह कायरतापूर्ण कृत्य पूरे देश को झकझोरने के लिए काफी था। इसको लेकर देश में शोक और आक्रोश दोनों है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यह क्षति सिर्फ उन परिवारों की नहीं है जिन्होंने अपने बेटे, भाई और पति खोए हैं। यह क्षति संपूर्ण देश की है। इसलिए आज मैं वही कहूंगा जो मैंने उस दिन (घटना के दिन) भी कहा था और आज फिर दोहराता हूं कि दोषियों को निश्चित रूप से दंडित किया जाएगा।’ भारतीय सेना में विश्वास प्रकट करते हुए मोदी ने कहा कि वह अपने पराक्रम से इस तरह के सभी षडयंत्रों को विफल कर देगी।

उन्होंने कहा, ‘ये (सैनिक) वे लोग हैं जो अदम्य साहस दिखाते हैं ताकि 125 करोड़ लोग शांतिपूर्ण ढंग से रह सकें।’ मोदी ने कहा, ‘हमें अपनी सेना पर गर्व है। लोगों और नेताओं को बोलने के अवसर मिलते है और वे ऐसा करते भी हैं। परंतु सेना बोलती नहीं है। सेना अपना पराक्रम दिखाती है।’ प्रधानमंत्री ने 11वीं कक्षा के एक छात्र का संदेश पढ़ा जिसने उरी की घटना को लेकर आक्रोश प्रकट किया था और इसको लेकर कुछ करने की इच्छा जताई थी। इस छात्र ने काफी सोचने के बाद यह संकल्प लिया कि वह रोजाना तीन घंटे अतिरिक्त पढ़ाई करेगा ताकि देश के लिए योगदान दे सके।

मोदी ने इस छात्र के ‘रचनात्मक विचार’ की सराहना करते हुए कहा, ‘देश के लोगों में जो आक्रोश है, उसका बहुत महत्व है। यह देश के जागने का प्रतीक है। यह आक्रोश कुछ करने जैसा है। जब 1965 युद्ध (पाकिस्तान के साथ) शुरू हुआ था तब लाल बहादुर शास्त्री देश का नेतृत्व कर रहे थे, उस समय देश में इसी तरह की भावना और आक्रोश था। वह देशभक्ति का ज्वार था।’ उन्होंने कहा, ‘उस समय लाल बहादुर शास्त्री जी ने बहुत ही उत्तम तरीके से देश के इस भाव से विश्व को स्पर्श कराने का प्रयास था। उन्होंने जय जवान, जय किसान का मंत्र देकर आम लोगों को देश के लिए कुछ करने को प्रेरित किया था।

मोदी ने कहा, ‘सेना को अपना उत्तरदायित्व निभाना चाहिए, हमें सरकार में अपना कर्तव्य निभाना चाहिए और नागरिकों को देशभक्ति की भावना के साथ रचनात्मक योगदान देना चाहिए। इसके बाद ही राष्ट्र निश्चित तौर पर नयी उंचाइयों पर पहुंचेगा।’ अपने 35 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने कश्मीर के लोगों से भी विशेष तौर पर बात करने की कोशिश की।

उन्होंने कहा, ‘कश्मीर के लोगों ने राष्ट्र विरोधी ताकतों को साफ तौर पर समझना शुरू कर दिया है। जैसे-जैसे वास्तविकता उनके सामने आ रही है वैसे वैसे उन्होंने ऐसी ताकतों से दूरी बनानी शुरू कर दी है और शांति के पथ पर चलना आरंभ कर दिया है।’ मोदी ने कहा कि सभी मां-बाप की इच्छा है कि कश्मीर में स्कूल और कॉलेज सही ढंग से काम करना आरंभ कर दें और किसान चाहते हैं कि उनके उत्पाद देश के बाजारों में पहुंचे।

उन्होंने कहा, ‘आर्थिक गतिविधियां उचित ढंग से होनी चाहिए। पिछले कुछ दिनों से व्यापारिक गतिविधियां शुरू हो गई हैं।’ मोदी ने कहा, ‘यह हम सभी जानते हैं कि शांति, एकता और सद्भावना हमारी समस्याओं को हल करने तथा प्रगति और विकास सुनिश्चित करने का माध्यम हैं। हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए हमें विकास की नयी उंचाइयों पर पहुंचना होगा। मुझे पूरा भरोसा है कि हम बातचीत के माध्यम से सभी मुद्दों को हल कर लेंगे।’

प्रधानमंत्री मोदी ने हालिया पैराओलम्पिक का हवाला दिया और इसमें भाग लेने और पद जीतने वाले भारतीय खिलाड़ियों की सराहना की। उन्होंने कहा कि उनको कई लोगों से संदेश मिले हैं जिनमें आग्रह किया गया है कि ‘मन की बात’ में पैराओलम्पिक के बारे में बात करें। मोदी ने कहा, ‘इस पैराओलम्पिक और भाग लेने वाले हमारे खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने दिव्यांगों को लेकर दृष्टिकोण पूरी तरह बदल दिया।’ हाल ही में पैराओलम्पिक में भाग लेने वाले खिलाड़ियों से मुलाकात करने वाले मोदी ने पदक विजेता दीपा मलिक को उद्धृत करते हुए कहा कि पदक जीतकर उन्होंने अपनी विक्लांग्ता को पराजित किया है।

‘स्वच्छ भारत अभियान के बारे मोदी ने कहा कि इस अभियान ने गति पकड़ ली है और लोग स्वच्छता के बारे में जागरूक हो रहे हैं और इस दिशा में योगदान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में 2.5 करोड़ शौचालय बनाए गए हैं और 1.5 करोड़ शौचालय और बनाए जाएंगे। बहरहाल, उन्होंने यह भी कहा कि खुले में शौच का चलन अब भी बरकरार है और इसे रोका जाना चाहिए। मोदी ने कारपोरेट जगत से अपील की कि वे इस दिशा में योगदान दें तथा इसको लेकर काम करने वाले युवाओं के प्रायोजक बनें।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने रेडियो के जरिए संवाद का इस्तेमाल अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने या आरोप-प्रत्यारोप में पड़ने की बजाय सिर्फ लोगों से उनके मुद्दों को लेकर जुड़ने के लिए किया है। मोदी ने ब्रिटिश कालीन रेस कोर्स रोड का नाम लोक कल्याण मार्ग किए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि यह आम लोगों को समर्पित है जिनके कल्याण के लिए उनकी सरकार काम कर रही है।