हर साल 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) मनाया जाता है। इसे मनाने का मकसद आत्महत्या के विरुद्ध जागरुकता फैलाना है। इस साल वर्ल्ड सुसाइड डे की थीम- ‘आत्महत्या के रोकथाम के लिए लिए साथ काम करना है’
विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि हर 40 सेकेंड में एक व्यक्ति आत्महत्या करता है। हर साल 8 लाख से ज्यादा लोग आत्महत्या करते हैं। यह डाटा बताता है कि दुनियाभर में 79 फीसदी आत्महत्या निम्न और मध्यवर्ग इनकम वाले देशों के लोग करते हैं।
भारत के हालात इस मामले में बहुत खराब हैं। पूरी दुनिया में शीर्ष 20 देशों में शुमार था जो अब 21वें नंबर पर है। भारत से बेहतर स्थिति पड़ोसी देशों की है। डब्ल्यूएचओ की 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक आत्महत्या की दर में श्रीलंका 29वें, भूटान 57वें, नेपाल 81वें, म्यांमार 94वें, चीन 69वें, बांग्लादेश 120वें और पाकिस्तान 169वें पायदान पर हैं।
नेपाल और बांग्लादेश की स्थिति जस की तस है। भारत ने मामूली सुधार किया है। जबकि बाकी पड़ोसी देशों में हालात खराब हुए हैं। चीन इस मामले में बहुत खराब स्थिति में आया है, 103 से सीधे 69वें पायदान पर। 31 मार्च 2018 को भारत में राष्ट्रीय स्तर पर हुए सैंपल सर्वे में की बात करें तो रिपोर्ट में दर्ज आंकड़े बताते हैं कि आत्महत्या की दर में 95 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है।
इसी सर्वे के आधार पर सामने आया है कि सबसे ज्यादा विवाहित महिलाएं इस असामयिक मौत का शिकार हुई हैं। अध्ययन में ये तथ्य भी बताए गए हैं कि विवाह के बाद असुरक्षित होने का भाव, कम उम्र में विवाह, कम उम्र में मातृत्व, कमज़ोर सामाजिक पायदान पर होना, प्रेम, आर्थिक निर्भरता, घरेलू हिंसा इसके कारण बने हैं।
ये आकंड़े चौंकाने वाले लोगों में निराशा, हताशा और अकेलापन इस कदर बढ़ रहा है कि जिंदा रहने की चाहत इतनी कम हो गई है। अगर ऐसा ही चलता रहा तो ये समस्या महामारी में बदल जाएगी। हमें समझना होगा जीवन बेहद अनमोल है। इसे ऐसे तनाव में कारण खत्म करने की जरूरत नहीं है।