जानिए धारा 370 हटाने से क्या कुछ बदल जाएगा जम्मू कश्मीर में?

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श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर ने 17 नवंबर 1956 को अपना संविधान पारित किया था जो कश्मीरवासियों को एक विशेषाधिकार देता था लेकिन मोदी सरकार द्वारा धारा 370 हटाने के साथ ये विशेषाधिकार पूरी तरह समाप्त हो गया है। अब जम्मू-कश्मीर पर भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा। जम्मू-कश्मीर का अब अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा।

सोमवार को गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प सदन में पेश किया। उन्होंने कहा कि कश्मीर में लागू धारा 370 में सिर्फ खंड-1 रहेगा, बाकी प्रावधानों को हटा दिया जाएगा। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने के लिए सरकार ने सोमवार को राज्य पुनर्गठन विधेयक भी पेश किया। इसे बाद में पास कराया जाएगा। शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर दिल्ली और पुड्डुचेरी की तरह केंद्र शासित प्रदेश रहेगा यानी यहां विधानसभा रहेगी। वहीं लद्दाख की स्थिति चंडीगढ़ की तरह होगी, जहां विधानसभा नहीं होगी।

370 हटने से जम्मू कश्मीर में ये बदलाव होंगे

  1. संसद से पारित कानून अब सीधे लागू होंगे, अब तक भारतीय संसद के अधिकार जम्मू कश्मीर को लेकर सीमित थे। अब तक ये होता था कि डिफेंस, विदेश और वित्तीय मामले को छोड़कर अगर संसद कोई भी कानून बनाती थी तो वो वह जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं होता था। ऐसे कानून को लागू कराने का प्रावधान यह था कि इसके लिए पहले संसद द्वारा पारित कानून को जम्मू-कश्मीर राज्य की विधानसभा में पास होना जरूरी था। ये अधिकार राज्य को 370 के तहत ही मिले हुए थे। अब ये खत्म हो गया है।

2. भारत का कोई भी नागरिक चाहे वो देश के किसी भी हिस्से में रहता हो अब उसे कश्मीर में स्थायी तौर पर रहने, अचल संपत्ति खरीदने का अधिकार मिल जाएगा। अब तक 35ए की वजह ये नहीं हो पा रहा था।

3. देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में सरकारी नौकरी पा सकता है। भारतीय संविधान के अंदर उसे सभी अधिकार प्राप्त हो चुके हैं।

4. जम्मू-कश्मीर की महिला अगर किसी दूसरे राज्य के स्थायी नागरिक से शादी करती हैं तो उसकी और उसके बच्चों के लिए अब कश्मीरी नागरिकता जैसे अड़चने नहीं होंगी, क्योंकि अब कश्मीरी नागरिकता जैसी चीज़ नहीं होगी। और सूबे से दोहरी नागरिकता भी खत्म हो जाएगी।

5. राज्य की विधानसभा का कार्यकाल अब पांच साल का होगा, जो पहले छह साल का था।

6. जम्मू-कश्मीर का अपना झंडा और अपना संविधान नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर ने 17 नवंबर 1956 को अपना संविधान पारित किया था। जिसे अब खत्म कर दिया गया है।

7. अब तक कश्मीर में आर्थिक इमरजेंसी नहीं लगाई जा सकती थी, अब उसे खत्म कर दिया गया है।

8. जम्मू-कश्मीर में वोट का अधिकार सिर्फ वहां के स्थाई नागरिकों को था, अब दूसरे राज्य के लोग यहां वोट कर सकेंगे। चुनाव में उम्मीदवार भी बन सकते हैं।

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