क्या भागदौड़ भरी जिंदगी में अब भी याद है आपको वो 25 पैसे वाली बचपन की चीजें?

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ये दौलत भी ले लो, ये शोहरत भी ले लो, भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी , मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन
वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी। सुदर्शन फाकीर का लिखा ये गाना हमारे बीते दिनों की और ले जाता है। जहां सिर्फ मस्ती हुआ करती थी और रात को तारे देखकर आसमान में जाने के सपने हुआ करते थे।

पानी में तैरती नाव, दोस्‍तों के साथ च्विंगम खाना, पच्‍चीस पैसे की टॉफी, पेड़ों पर चढ़कर छुप जाना ऐसी कई यादें है जो हमने आज के बच्चों से कुछ अलग बिताई है। आजकल के बच्चे आधुनिक चीजों में अपना बचपन देखते हैं लेकिन 90 के दशक के बच्‍चों का बचपन चार दीवानी में कैद ना होकर पड़ौसियों की छतों पर हल्ला मचाने, खुले मैदान में क्रिकेटर खलने और गर्मियों के दिनों में नीम या बेरी के पेड़ पर झूला डालकर बीता है। उस दशक की बात ही कुछ और थी ना गैजेट्स का क्रेज था और ना ही बहुत ज्‍यादा इच्‍छाएं थीं, लोग तो बस आपस में मस्‍ती करना जानते थे । चलिए आज फिर बचपन की यादों को ताजा करते हैं।

आइस पॉप्सिकल्स
याद है गर्मीयों के दिनों में कैसे 25 पैसे के लिए जिद किया करते थे इस रंग-बिरंगी बर्फ को खाने के लिए। गर्मियों के दिनों में 90 के दशक के बच्चों ने इन आइस पॉप्सिकल्स (Ice popsicles) का खूब लुफ्त उठाया है। 25 पैसे में मिलने वाली ये रंग-बिरंगी प्लास्टिक की थैली में बंद बर्फ को चूसने में जो मजा आता था वो आज मंहगी आइस्क्रीम कप में भी नहीं मिलता है।

बबल गम
90 के दशक में बच्‍चों को टॉफ, चिप्‍स नहीं पसंद थे। लेकिन एक चीज थी जो हर बच्‍चा खाना चाहता था और वो थी चुइंग गम, बूमर और बबल गम च्विंगम कैंडी। इसे बच्चे खाते भी थे और अपनी मांओ की खूब डांट भी खाते थे।

चॉकलेट कॉइन-
अब मंहगी-मंहगी लग्जरी चॉकलेट का चलन है लेकिन 90 के दशक में बच्चों में सोने के कागज में लिपटी चॉकलेट काफी पसंद की जाती है थी। अगर आप भी उसी दशक के बच्चे रहे हैं तो आपको याद होगा कि कैसे 1 रूपये की कॉइन चॉकलेट खरीदने के लिए कई दिनों पहले पैसे जुटाने की कोशिश शुरू की जाती थी।

लिज्जत पापड़-
अब तो बाजार में कई पापड़ की कंपनियां आ चुकी है लेकिन एक पापड़ है जो आज भी उतना ही पसंद किया जाता है जितना पहले था। हम बात कर रहे हैं लिज्जत पापड़ की। जी हां जिससे श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ या लिज्जत पापड़ के नाम से जाना जाता है, संभवतः कुछ स्वस्थ खाद्य पदार्थों में से एक है जो अच्छी यादें वापस लाते हैं। 1959 में सिर्फ 80 रुपये में सात महिलाओं द्वारा शुरू की गई, कंपनी अब 800 करोड़ रुपये से अधिक का सालाना कारोबार करने के लिए बढ़ गई है। एक आकर्षक इतिहास, है ना?

कैंडी सिगरेट
अगर आपको याद हो तो बचपन में एक कैंडी के रूप में सिगरेट बिका करती थी। जिससे बच्चे केवल स्टाइल मारने या अपने बड़ों की (जो सिगरेट पीते थे) उनकी नकल करने के लिए कैंडी सिगरेट खरीदा करते थे। हालांकि ये कैंडी सिगरेट काफी विवादों में रही। कई लोगों ने आरोप लगाएं कि ऐसी कैंडी बच्चों में गलत आदत पैदा करती है। मुझे भी याद है इसके लिए तो मुझे भी मार पड़ चुकी है। खैर, बचपन तो नासमझ था लेकिन आज इन चीजों को याद कर बचपन की झलकियां फिर आंखों के सामने आ गई।

गुरू चेला-
90 के दशक में हर बच्चा मंहगी खाने की चीजें नहीं खरीद पाता था। ऐसे में संतरे, नारियल या फिर गुरू चेला जैसी खट्टी-मीट्टी चीजों में ही लग्जरी चीजों का आनंद उठाया करता था।

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