दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आठ नवंबर को पांच सौ और एक हज़ार रुपए मूल्य के नोटों को बंद करने की घोषणा की थी। इस फ़ैसले के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार को सुनवाई कर सकता है।
सरकार ने दो हज़ार और पांच सौ रुपए के नए नोट जारी किए हैं। मोदी सरकार के इस फ़ैसले के खिलाफ एक वकील ने जनहित याचिका दायर कर फ़ैसले पर तत्काल रोक लगाने की मांग की थी। जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता वाले एक बेंच के सामने इस याचिका को तत्काल सुनवाई के लिए लाया गया था। लेकिन बेंच ने कहा कि इस पर मंगलवार को सुनवाई होगी।
इस तरह की याचिका की संभावना को देखते हुए केंद्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और एक कैवियट दाखिल कर कहा कि कोई भी अंतरिम आदेश जारी करने से पहले अदालत सरकार का पक्ष भी सुने। याचिका दायर करने वाले वकील ने आरोप लगाया है कि नोटों को बदलने के लिए नोटों को बदलने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया गया। इस फैसले से अराजकता पैदा होगी और लोग परेशान होंगे।
याचिकाकर्ता ने कहा है, ” प्रधानमंत्री की घोषणा कालेधन, जाली नोटों और चरमपंथ को उखाड़ फेंकने के लिए आया है। लेकिन ठीक इसी समय इस आर्थिक फ़ैसले ने भारत की सवा अरब जनता के सामने संकट पैदा हो गया है। यह आम आदमी के जीवन में आर्थिक आतंकवाद से कम नहीं है।”
केंद्र सरकार के इस फ़ैसले के बाद देश में करेंसी का संकट पैदा हो गया है। बैंकों, डाकघरों और एटीएम के सामने रुपए लेने, जमा करने और पुराने नोट बदलवाने के लिए लंबी-लंबी कतारें लगी रही हैं। हालांकि इस फ़ैसले से लोगों को होने वाली परेशानी से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने कई क़दम उठाए हैं।
वहीं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल नरेंद्र मोदी सरकार के इस फ़ैसले की मुखर आलोचना कर रहे हैं। इस मुद्दे पर चर्चा के लिए दिल्ली विधानसभा का एक विशेष सत्र मंगलवार को बुलाया है। इसमें केंद्र सरकार के इस फ़ैसले पर चर्चा होगी।