जैसा कि आप जानते हैं कि देश में अभी चुनावी माहौल बना हुआ, कुछ नेता मुद्दों पर वोट मांग रहे हैं तो कुछ राष्ट्रवाद, जाति आदि चीजों को मुद्दा मानकर वोट मांग रहे हैं। जहां नेता चुनावी रैलियों में जाकर जनता के बीच अपने विरोधियों पर तंज कसता है, चुटिकियां लेता। इन सबके परे अब हम इस पोस्ट के माध्यम से कुछ सच्चाई आपको दिखाना चाहते हैं कि कैसे लिखने वालों ने सियासी हलचलों को अपने शब्दों में पिरोया। तो चलिए पढ़िए कुछ चुनावी शायरियां….और पसंद आए तो नीचे कमेंट और शेयर जरूर करें…।
पैसा लेकर चुनाव न करें,
किसी नेक को मतदान करें,
भारत का निर्माण करें।
चुनावी दौर है क्या किसी पर ऐतबार करना,
अबकी बार कुछ अच्छा होगा,
ये सोचकर क्या दिल बेकरार करना।
ना किसी नेता के अनुरक्त बनों,
ना किसी पार्टी के भक्त बनों
दोस्तों सिर्फ़ देश भक्त बनों।
नेता भी क्या खूब ठगते हैं,
ये तो 5 साल बाद ही दिखते हैं।
लोकतंत्र जब अपने असली रंग में आता हैं,
तो नेताओं की औकात का पता चल जाता हैं।
सभी एक जैसा ही लिखते हैं, बस मतलब बदल जाते हैं,
सरकारे वैसे ही चलती हैं, बस वजीर-ए-आजम बदल जाते हैं।
गंदी राजनीति का यह भी एक परिणाम हैं,
बीस रूपये एक बोतल पानी का दाम हैं।
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