राफेल डील के ऐलान के बाद, हुआ अनिल अंबानी का 14 करोड़ यूरो का कर्ज माफ- फ्रांस मीडिया

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नई दिल्ली: फ्रांस के स्थानीय अखबार ‘ले मॉन्डे’  ने दावा किया कि भारतीय उद्योगपति अनिल अंबानी की फ्रांस में स्थित टेलीकॉम कंपनी का 14 करोड़ यूरो का कर्ज राफेल डील की घोषणा के बाद माफ किया गया। हालांकि, रिलायंस कम्युनिकेशन ने इस दावे को खारिज वहीं रक्षा मंत्रालय ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि, हमने वह रिपोर्ट्स देखी जिसमें निजी कंपनी को टैक्स में दी गई छूट और राफेल डील की प्रक्रिया के बीच कनेक्शन का अनुमान लगाया गया।

मगर जिस सत्र के लिए टैक्स में छूट मिली और राफेल डील की प्रक्रिया शुरू हुई, इसके समय में कोई समानता नहीं है। ऐसे में कनेक्शन की बात पूरी तरह से गलत है। यह तोड़-मरोड़कर पेश की गई है। रिलायंस कंपनी ने कहा कि टैक्स से जुड़ा मामला फ्रांस के कानून के आधार पर ही सुलझाया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस फ्लैग फ्रांस में टेलीकॉम इन्फ्रास्ट्रक्चर और केबल नेटवर्क का संचालन करती है। फ्रांस के आयकर अधिकारियों ने रिलायंस फ्लैग एटलांटिक फ्रांस से 7.3 लाख यूरो का टैक्स लिया जबकि मांग 15 करोड़ यूरो की थी।

रिपोर्ट के मुताबिक रिलायंस फ्लैग एटलान्टिक फ्रांस की जांच, अधिकारियों ने 2007 से 2010 के सत्र को लेकर की। इसके अंतर्गत कंपनी पर 6 करोड़ यूरो का टैक्स बकाया पाया गया। हालांकि रिलायंस ने इसके लिए 7.6 लाख यूरो चुकाने का प्रस्ताव दिया था, जिसे फ्रेंच अधिकारियों ने ठुकराया था। इसके बाद अधिकारियों ने 2010 से 2012 के सत्र को लेकर फिर जांच की। कंपनी को 9 करोड़ यूरो का टैक्स और देने को कहा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फ्रांस के राष्ट्रपति एफ. ओलांदे से भी 10 अप्रैल 2015 को पेरिस में बातचीत की थी। इसके बाद 36 राफेल विमान खरीदने की घोषणा हुई। यह डील 23 सितंबर 2016 को फाइनल हुई। इसके बाद फ्रांस के अधिकारियों ने रिलायंस के 7.3 लाख यूरो की टैक्स राशि चुकाने का ऑफर स्वीकार कर लिया, जबकि मूल मांग 15 करोड़ यूरो की थी।

रिलायंस के प्रवक्ता ने बताया कि फ्रांस की टैक्स की मांग पूरी तरह से अवैधानिक थी। कंपनी ने इस मामले को सुलझाने के लिए किसी तरह के पक्षपात का सहारा नहीं लिया। अधिकारी ने कहा, ”फ्रांस के अधिकारियों ने 2008 से 2012 के बीच के समय की जांच की। यह करीब 10 साल पहले की बात है। कंपनी को उस समय फ्लैग फ्रांस के क्रियान्वयन में 20 करोड़ रुपए (2.7 मिलियन यूरो) का नुकसान हुआ। फ्रांस अधिकारियों ने उसी समय 1100 करोड़ रुपए के टैक्स की मांग की। आखिर में 56 करोड़ रुपए के भुगतान का फाइनल मसौदा तैयार हुआ।”

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