विवेकानंद

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विवेक में आनंद
को खोज कर जिसने
अपने शब्द-शब्द में घोला ज्ञान ;

राष्ट्रहित में किये
जिसने अर्पित अपने
तन-मन-प्राण;

सत्य और संस्कृति
भी हुए जिसको पाकर
के महान;

ऐसे ऋषि स्वरुप
हर विवेक में समाहित
आनंद तेरा करे
हर पीढ़ी जय गान !

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