नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की छवि में खासा अंतर है, जहां लोग पीएम की बातों की आलोचना और समर्थन दोनों करते थे वहीं राहुल गांधी की किसी बात को तव्जजों नहीं देते थे। ऐसा पिछले कई सालों से देखने को मिल रहा है।
लेकिन विधानसभा चुनावों में मिली कांग्रेस को जीत और बीजेपी को कड़ी टक्कर के बाद अचानक राहुल गांधी की छवि अक्रामक और सीरियस नेता की बन गई है। जितना सीरियस और विश्वास से भरपूर राहुल मीडिया और जनता के सामने आते हैं उतना ही अब सोशल मीडिया पर।
टाइम्स इंडिया की एक खबर के मुताबिक, राहुल गांधी धीरे-धीरे ही सही लेकिन जल्द पीएम मोदी को सोशल मीडिया पर बड़ी टक्कर देते नजर आएंगे। दोनों ही नेता सोशल मीडिया पर काफी एक्टिव रहते हैं लेकिन अब वे कई मामलों में पीएम मोदी से काफी आगे निकल चुके हैं।
फॉलोवर्स के मामले में कौन किस पर भारी-
ट्विटर पर इस वक्त मोदी के 44.7 मिलियन फॉलोअर्स हैं जबकि राहुल गांधी के फॉलोअर्स की संख्या 8.08 मिलियन है। यानी फॉलोअर्स के मामले में प्रधानमंत्री, राहुल गांधी से 4 गुना से ज्यादा आगे हैं।
अध्यक्ष बनने के बाद आए कई बदलाव
सोशल मीडिया पर राहुल गांधी का ग्रॉफ कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद ही बढ़ा है। एक साल पहले कांग्रेस अध्यक्ष बने राहुल गांधी का पहले ट्विटर हैंडल भी @officeofrg था जो बाद में @rahulgandhi हुआ। विपक्षी यह भी आरोप लगाते हैं कि सोशल मीडिया पर एंगेजमेंट बढ़ाने के लिए कांग्रेस और राहुल गांधी की टीम पीआर कंपनी का सहारा ले रही है। हालांकि पार्टी इस बात को नकारती रही है।
क्या ट्वीट करते हैं दोनों नेता
पीएम मोदी के ट्वीट में कूटनीति, नई योजनाओं समेत कई अन्य मुद्दों का जिक्र होता है। जबकि राहुल गांधी के ट्वीट में किसान, रोजगार और पीएम मोदी का जिक्र होता है। खास बात यह है कि राहुल गांधी के मुकाबले नरेंद्र मोदी ज्यादा ट्वीट करते हैं लेकिन एंगेजमेंट के मामले में राहुल गांधी उनसे काफी आगे निकल गए हैं।
कितने ट्वीट किए अभी तक
2017 की शुरुआत से अब तक राहुल गांधी के ट्विटर अकाउंट से 1,381 ट्वीट किए गए, जिनमें से 104 ट्वीट में मोदी या प्रधानमंत्री का जिक्र है. दूसरी तरफ प्रधानमंत्री के ट्वीट में गांधी, नेहरू और राहुल का जिक्र सिर्फ 9 बार ही है और इसमें भी वे महात्मा गांधी, मेनका गांधी और राहुल कौशिक का जिक्र कर रहे हैं।
जीत के बाद आए तेवर बदले-
विधानसभा चुनावों में मिली जीत के बाद राहुल गांधी के तेवर पूरी तरह बदले नजर आए, ऐसा लगा जैसे उन्होंने अपनी जीत के साथ अपने कर्तव्यों और नेतृत्व को भाप लिया है कि आखिर एक अध्यक्ष की भूमिका उसकी पार्टी के लिए क्या है। जीत के बाद की प्रेस कॉन्फ्रेस में राहुल ने साफ किया है कि वह इस देश से किसी को मुक्त नहीं करना चाहते बस चौकिदार से देश का हिसाब मांगना चाहते हैं। उन्होंने ये भी कहा कि वह तीनों राज्यों में किए गए पूर्व मुख्यमंत्रियों के कार्यों को आगे बढ़ाएंगे। इस तरह से बात करने का तरीका राहुल गांधी की पल में बदली छवि के लिए काफी कारगर साबित हुआ।
सस्पेंस बरकरार-
राहुल गांधी पर जनता और मीडिया की नजर थी कि वह आखिरकार किस अनुभवी नेता को तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री बनाएंगे। जिसतरह राहुल गांधी ने युवा चेहरों को जगह न देकर अनुभवी नेताओं को सत्ता की कुर्सी सौंपी उससे उन्होंने अपनी सूझबूझ का परिणाम दिया है।
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