नई दिल्ली: पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में जहां बागियों ने एकतरफ सरकार को परेशान किया हुआ वहीं खबर अब बिहार से है। जहां नरेंद्र मोदी सरकार में राज्यमंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (आरएलएसपी) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने एनडीए छोड़ने का मन बना लिया है।
मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, उपेंद्र कुशवाहा दिसंबर के पहले हफ्ते में यानी संसद के शीतकालीन सत्र से पहले ही एनडीए को अलविदा कह सकते हैं। माना जा रहा है कि छह दिसंबर को वाल्मीकि नगर में होने वाली पार्टी की बैठक में कुशवाहा खुद इसका ऐलान कर सकते हैं। बता दें कि सीट के बंटवारें को लेकर कुशवाहा ने भाजपा को 30 नवंबर तक का अल्टीमेटम दिया था लेकिन बिहार भाजपा प्रभारी भूपेन्द्र यादव पिछले दिनों जब बिहार आए तो उन्होंने इस तरह के किसी भी अल्टीमेटम को सिरे से खारिज कर दिया।
उधर, चर्चा है कि कुशवाहा ने अपनी आगे की रणनीति बना ली है। खबर है कि शरद यादव की पार्टी लोकतांत्रिक जनता दल का राष्ट्रीय लोक समता पार्टी में विलय हो सकता है। दोनों नेताओं के बीच इस बारे में डील हो चुकी है। औपचारिक विलय के बाद उपेंद्र कुशवाहा औपचारिक तौर पर महागठबंधन में शामिल होने का ऐलान करेंगे। ऐसी स्थिति में आगामी आम चुनावों में महागठबंधन उन्हें सात सीटें दे सकता है। इससे पहले राजद की तरफ से उन्हें चार सीटों का ऑफर पहले ही मिल चुका है। कुशवाहा ज्यादा सीटों की मांग लेकर भाजपा से तोल-मोल कर रहे थे लेकिन उन्हें इसका फायदा नहीं मिल सका।
ऐसी स्थिति में कुशवाहा ने अपने धुर विरोधी सीएम नीतीश कि खिलाफ मोर्चा खोल दिया और नीच का कार्ड भी खेला। राजनीतिक समीक्षकों का मानना है कि उपेंद्र कुशवाहा एनडीए में अलग-थलग पड़ चुके हैं। लिहाजा, वो अपने समर्थकों को भरोसा दिलाने के लिए न केवल राज्यभर में ताबड़तोड़ बैठके कर रहे हैं बल्कि भाजपा अध्यक्ष और पीएम से मिलने की बात कहकर अपने समर्थकों को संतुष्ट करने की भी कोशिशों में जुटे हैं। ताकि महगठबंधन में शामिल होने से पहले राजनीतिक भूमिका बनाई जा सके।
गौरतलब है इससे पहले उपेंद्र कुशवाहा ने मुंगेर में शनिवार को कहा कि वह राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में हैं, लेकिन अपमान सहकर कहीं नहीं रह सकते। मुंगेर के पोलो मैदान में आयोजित ‘हल्ला बोल-दरवाजा खोल’ कार्यक्रम में उन्होंने अगले लोकसभा चुनाव के लिए राजग में सीट बंटवारे को लेकर की जा रही बातों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि अपमानित महसूस कर रहा हूं।
उन्होंने कहा, “हम राजग में हैं और राजग में रहेंगे लेकिन अपमान सहकर नहीं, बल्कि सम्मान के साथ” कुशवाहा ने भाजपा और जद (यू) के कुछ नेताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे लोग नहीं चाहते कि नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनें। पुराने दिनों की याद करते हुए उन्होंने कहा, “वर्ष 2014 में जब नरेंद्र मोदी का नाम प्रधानमंत्री उम्मीदवार के लिए सामने आया था, उस समय भाजपा के एक नेता भी नरेंद्र मोदी का नाम नहीं ले रहे थे। उस समय रालोसपा ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने की बात कही। मैं नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाना चाहता हूं।”
कुशवाह के अलग-अलग बयानों के बाद से राजनीति में इतनी हलचल तो नहीं देखने को मिली लेकिन फिर भी अंदर की खबर ये ही संकेत दे रही है बीजेपी को लोकसभा चुनावों से पहले कई बड़े झटके मिल सकते हैं। वहीं कुशवाह NDA में रहेंगे या नहीं इसपर उन्होंने अभी तक संस्पेंस बरकार रखा हुआ। इससे पहले जम्मू कश्मीर में भी चुनावों का ऐलान हो चुका है। अब देखना है कि बिहार का ऊंट किस करवट बैठता है।
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