क्या आप जानते आपके ‘शब्दों को खत्म’ करने वाले इमोजी का इतिहास?

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इमोजी जिसका इस्तेमाल आप रोज करते है अपनी भावनाओं को जाहिर करने के लिए। आज उसी का दिन है जिसे पूरी दुनिया World Emoji Day के रूप में मना रही है। क्या आप इमोजी का इतिहास जानते हैं कि इसकी शुरूआत कब और कैसी हुई अगर नहीं तो ये पढ़िए..

कहां जाता है कि इमोजी की शुरूआत 17वीं शताब्दी में ही हो गई थी। 2014 में अंग्रेजी वेबसाइट द अटलांटिक में छपे एक लेख में बताया गया कि 1648 की एक कविता मिली है जिसमें स्माइली का इस्तेमाल किया गया है। यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो प्रेस के पब्लिसिटी मैनेजर एडिटर लेवी स्टाल, काम के सिलसिले में रॉबर्ट हैरिक की कविताएं खंगाल रहे थे जिसमें ‘टू फॉर्च्यून’ नाम की एक कविता की दूसरी लाइन में उन्हें 🙂 बना हुआ दिखाई दिया। इससे यह सवाल उठने लगा कि क्या इमोजी का कारोबार 4 सदियां पुराना है।

कैसे बना इमोजी-
पहला इमोजी 1999 में जापान के कलाकार शिगेटाका कुरिता ने बनाया था। कुरिता जापान की मोबाइल कंपनी डोकोमो के इंटरनेट प्लैटफॉर्म को तैयार करने का काम कर रहे थे। उन्होंने ऐसे 176 इमोजी तैयार किए जो साधारण तरीके से जानकारी पहुंचा सके। ये इमोजी फिलहाल न्यूयॉर्क के मॉडर्न आर्ट संग्रहालय के स्थायी संग्रह का हिस्सा हैं। कुरिता ने ऐसे कैरेक्टर तैयार किये थे जो मौसम का हाल (जैसे बादल, धूप, छतरी, बर्फ), ट्रैफिक (कार, ट्रैम, एयरप्लेन, जहाज), तकनीक (लैंडलाइन, सेलफोन, टीवी) बता सके। लेकिन बात बस यहीं खत्म नहीं हुई। जानकारी से आगे बढ़कर बात दिल के हाल तक पहुंच गई। ❤

क्या होते हैं इमोजी-
इमोजी पिक्टोग्राफ होते हैं। इमोजी जापानी भाषा के शब्द इ (पिक्चर) और मोजी (पात्र) से मिलकर बना है। इमोजी आइडियोग्राम या स्माइली होते हैं, जिनका इलेक्ट्रॉनिक मैसेज और वेब पेजों पर इस्तेमाल किया जाता है।

खैर इसका इस्तेमाल फोन में काफी समय पहले की कोडिंग के जरिए किया था। लेकिन इनको रंग देने के साथ आकर्षक बनाने का काम एप्पल ने किया। एप्पल आईफोन के साथ पहली बार अंतरराष्ट्रीय प्लेटफार्म पाने के बाद से, इमोजी की लोकप्रियता में जबरदस्त इजाफा हुआ। इसके बाद, इमोजी एंड्रायड और मोबाइल के दूसर ऑपरेटिंग सिस्टम पर छा गए। एप्पल का ओएस एक्स ऑपरेटिंग सिस्टम इमोजी को वर्जन 10.7 (लॉयन) के रूप में सपोर्ट करता है। माइक्रोसॉफ्ट ने विंडोस 8 में मोनोक्रोम यूनिकोड के रूप में इमोजी को अपनाया और विंडोस 8.1 में इमोजी को कलरफुल बना दिया।

इमोजी पर सबका अधिकार-
2015 में ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने इमोजी को साल का शब्द घोषित कर दिया। इसके बाद तो जैसे इमोजी सिर्फ युवाओं का नहीं बल्कि सबका हक हो गया है। जहां एक वक्त पहले इमोटिकॉन को की-बॉर्ड के अलग अलग निशानों को मिलाकर तैयार किया जाता था, वहीं इमोजी अपने आप में एक तस्वीर है जो कि अब आसानी से स्मार्टफोन पर आ जाती है। आज सोशल मीडिया पर घंटों-घंटों चैटिंग ही इसके द्वारा की जाती है।

बड़ा सवाल-
इमोजी का इस्तेमाल काफी अच्छा लेकिन इसके दुष्प्रभाव भी आज देखने को मिल रहे हैं। सबसे बड़ा खतरा हमारे शब्दों को है। जरा सोचिए 92% लोग केवल इमोजी के सहारे घंटों चैटिंग करते हैं। इसके अलावा अब तो इमोजी का बाजार इतना व्यापक हो गया कि यहां कई ऐप भी आ गए। जिसमें इमोशन्स भी गजब के हैं। ऐसे में इमोजी आपकी भाषा आपके इमोशन को खत्म करने की एक बड़ी कड़ी है। सभंल जाइए।

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