पाली: शिष्या से दुष्कर्म मामले में आरोपी शनिधाम के संस्थापक दाती मदन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। उनकी गिरफ्तारी भी संभव है। वे सोमवार को दिल्ली क्राइम ब्रांच में पूछताछ के लिए पेश हो सकते हैं। दाती ने भी इसके लिए सोमवार तक का समय मांगा था। हालांकि इस पर संशय है कि वे पेश होंगे या नहीं। क्राइम ब्रांच को दिल्ली व आलावास आश्रम में मिले सबूतों व पूछताछ के लिए बुलाने के बावजूद पेश नहीं होने से दाती की गिरफ्तारी का अंदेशा बढ़ गया है।
शनिवार को क्राइम ब्रांच के पाली के आलावास आश्रम में पहुंचने की भनक लगते ही दाती, गुरुकुल की निदेशिका श्रद्धा उर्फ नीतू तथा अन्य आरोपी फरार हो गए थे। उनका रविवार को भी सुराग नहीं लगा। क्राइम ब्रांच के साथ आई पीड़िता ने पूरे आत्मविश्वास के साथ दुष्कर्म के मौकास्थलों की तस्दीक कराई थी। मामले में आरोपी दाती के भाई अर्जुन, अशोक तथा अनिल भी फरार बताए जा रहे हैं। पुलिस अफसरों का मानना है कि अगर दाती सोमवार को भी नहीं आते हैं तो उन्हें गिरफ्तार करना होगा।
पुलिस पीड़िता द्वारा दिए गए बयान और दाती महाराज के दिल्ली और पाली स्थित आश्रम के सीन ऑफ क्राइम का मिलान कर रही है। मामले में इस एंगल को भी देखा जा रहा है कि दो साल पुराना यह मामला किसी साजिश का हिस्सा तो नहीं। बता दें दिल्ली के फतेहपुर बेरी थाने में पच्चीस वर्षीय युवती ने दाती समेत चार लोगों पर दुष्कर्म, कुकर्म संबंधी गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया है।
दिल्ली में 5-6 साल मुफलिसी में गुजारे
दाती का जन्म 10 जुलाई 1950 को पाली के अालावास में हुआ। नाम था-मदन। मां की मौत बचपन में हो गई थी। पिता के दूसरी शादी करने के बाद दिल्ली आ गए। यहां कुछ दिन दिहाड़ी मजदूरी की और टैंट की दुकान पर काम किया। 5-6 साल काफी मुफलिसी में गुजारे। 1996 में वह एक ज्योतिषी के संपर्क में आए और उनसे कुंडली देखने के गुर सीख लिए।
कैसे बना मदन से दाती महाराज
दाती को अमूमन लोग शनि उपासक और ज्योतिषाचार्य के तौर पर जानते हैं। लेकिन यही दाती 22 साल पहले मदन थे और दिहाड़ी मजदूरी करते थे। दिल्ली में टैंट का भी काम किया। इसके बाद ज्योतिष का ज्ञान जुटाया और देखते ही देखते बड़े धर्मगुरु बन गए।
देशभर में है करोड़ों की संपत्ति
दिल्ली के पॉश छतरपुर इलाके के फतेहपुर बेरी में शनिधाम। पास में ही एक फार्म हाउस भी है। पाली के आलावास में 15 बीघा में आश्वासन बालग्राम। पाली के खेतावास में 30 बीघा में श्रीसिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम। पाली स्थित आलावास गुरुकुल के अलावा बागावास में मेडिकल कॉलेज, हिंगावास में गोशाला, हरिद्वार में संत निवास, उज्जैन में शनि मंदिर, पाली में श्री सिद्ध शक्तिपीठ शनिधाम समेत कई अन्य स्थानों पर करोड़ों की संपति बना ली। हालांकि यह सभी स्थान शिक्षा के साथ धार्मिक कार्यों के उपयोग में आते हैं।
धर्मगुरु के साथ समाजसेवी की छवि भी बनाई
दाती ने आलावास में गुरुकुल खोलने के साथ ही बेसहारा बच्चियों को गोद लेना शुरू कर दिया। वर्तमान में 700 से अधिक प्रदेशभर की बच्चियां गुरुकुल में हैं। इनके पालन-पोषण से लेकर शिक्षा दिलाने का खर्च वह खुद उठा रहा है। सैकड़ों बेटियों की शादी कराने, गरीब परिवारों को हर महीने राशन देने, बेटी जन्म होने पर उसके नाम से 11 से 21 हजार का ड्राफ्ट देने, बाढ़ बचाव में सरकार की मदद करने समेत ऐसे कई कार्यों के माध्यम से वह अधिकारियों का भी चहेता था। जयपुर के एसएमएस अस्पताल में भी दाती ने करोड़ों की लागत से बर्न यूनिट का निर्माण कराया है। इन कामों के जरिये उसकी छवि आम लोगों के बीच संत के साथ ही समाजसेवी के रूप में हो गई थी।
‘शनि शत्रु नहीं-मित्र’ के स्लोगन ने बदला भाग्य
ज्योतिष ज्ञान लेने के बाद दाती ने पहला सेंटर दिल्ली के कैलाश नगर में खोला। बताया जाता है कि यहां उन्होंने एक नामी शख्स के लिए भविष्यवाणी की, जो सच हुई। उस व्यक्ति ने फतेहपुर बेरी स्थित अपना पुश्तैनी मंदिर दाती को दे दिया। इसके बाद दाती ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। ‘शनि शत्रु नहीं-मित्र है’ के स्लोगन के साथ देशभर में साधकों की लंबी-चौड़ी फौज खड़ी कर ली।
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