डेवलपर ने डिफॉल्ट किया तो घर खरीदारों को इन तरीकों से जल्दी मिलेगा रिफंड

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नई दिल्ली: 6 माह पुराने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (आईबीसी) में एक अहम बदलाव होने जा रहा है, जिससे अधूरे हाउसिंग प्रोजेक्ट के खरीदारों को मदद मिलेगी। घर खरीदारों को बैंकों के बराबर ‘फाइनेंशियल क्रेडिटर’ का दर्जा मिलेगा। फाइनेंशियल क्रेडिटर के दायरे में वे सभी लोग आएंगे जिन्होंने पैसे दिए हैं। इससे डेवलपर के डिफॉल्ट करने पर खरीदारों को जल्दी रिफंड मिल सकेगा।

कैबिनेट ने बुधवार को इससे जुड़े संशोधन पर अपनी मुहर लगा दी। इसे अध्यादेश के जरिए लागू किया जाएगा। जेपी इन्फ्राटेक समेत कई डेवलपर कंपनियां इस समय दिवालिया प्रक्रिया से गुजर रही हैं। इनके हाउसिंग प्रोजेक्ट में हजारों लोगों के पैसे फंसे हैं।

दिवालिया कानून में संशोधन के लिए सरकार ने 14 सदस्यों की समिति बनाई थी, जिसने पिछले महीने रिपोर्ट दी थी। समिति ने घर खरीदने वालों की परेशानियां दूर करने और बैंकों के लिए रिकवरी आसान करने संबंधी सुझाव दिए थे। कैबिनेट का फैसला इन्हीं पर आधारित है। कैबिनेट मीटिंग के बाद कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसकी जानकारी दी।

अभी है ये नियम
अभी खरीदारों को ‘ऑपरेशनल क्रेडिटर’ का दर्जा हासिल है। डेवलपर के डिफॉल्ट करने पर कंपनी की नीलामी से जो पैसे मिलेंगे, उसमें खरीदार का हक सबसे अंत में आता है।

अब क्या बदलेगा
घर खरीदारों को बैंकों के बराबर ‘फाइनेंशियल क्रेडिटर’ का दर्जा मिलेगा। फाइनेंशियल क्रेडिटर के दायरे में वे सभी लोग आएंगे जिन्होंने डेवलपर को पैसे दिए हैं।

इस नियम से क्या फायदा
बैंकों की तरह खरीदार भी अपने पैसे की वापसी के लिए डेवलपर के खिलाफ दिवालिया कार्रवाई शुरू कर सकेंगे। इससे उन्हें घर खरीदने के लिए दिए गए पैसे जल्दी मिल सकेंगे।

नीलामी में हिस्सा ले सकेंगे एमएसएमई प्रमोटर
कैबिनेट द्वारा बनाई गई समिति ने एमएसएमई (सूक्ष्म, छोटी और मध्यम आकार की कंपनियों) के लिए नियम आसान करने के भी सुझाव दिए थे। नवंबर 2017 में सरकार ने दिवालिया कानून में धारा 29ए जोड़ते हुए नीलामी प्रक्रिया में कंपनी के प्रमोटरों के शामिल होने पर रोक लगा दी थी। समिति का सुझाव है कि एमएसएमई को खरीदने में सिर्फ उसके प्रमोटर की रुचि होगी, किसी और की नहीं। उसे डिस्क्वालिफाई करने से नीलामी ही मुश्किल में पड़ सकती है। दिसंबर 2016 में लागू आईबीसी में तय समय में इन्सॉल्वेंसी प्रक्रिया पूरी करने का प्रावधान है।

कैबिनेट के अन्य फैसले
-मेघालय में 3,911 करोड़ रुपए की लागत से 2जी और 4जी मोबाइल टावर लगाए जाएंगे।
-स्कूटर इंडिया के विनिवेश में तेजी लाने के लिए इसकी बैलेंस शीट की रिस्ट्रक्चरिंग को मंजूरी।
-कर्ज की किस्त नहीं चुकाने पर विशाखापट्टनम और पारादीप पोर्ट ट्रस्ट्स का जुर्माना माफ।
-स्वच्छ ऊर्जा के लिए फ्रांस, मोरक्को से एमओयू को मंजूरी।
-तुर्की से पोस्तदाना व्यापार संबंधी समझौते को मंजूरी।

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