मेलबर्न: इस साल की फॉर्मूला-1 वर्ल्ड चैंपियनशिप रविवार को ऑस्ट्रेलियन ग्रांप्री से शुरू हो जाएगी। यह इस सीजन की पहली रेस है। इसमें 10 टीमें हिस्सा ले रही हैं। मर्सडीज के ब्रिटिश रेसर लुईस हैमिल्टन पोल पोजीशन से शुरुआत करेंगे। वे 2017 के वर्ल्ड चैंपियन भी हैं। इस बार सीजन में 21 रेस होंगी। फरारी के जर्मन रेसर सेबेस्टियन वेटल उन्हें चुनौती देंगे। वेटल और हैमिल्टन चार-चार बार वर्ल्ड चैंपियन बन चुके हैं।
इस सीजन में कार में बदलाव हुए हैं। कार की कॉकपिट के ऊपर टाइटेनियम की प्रोटेक्टिव िडवाइस ‘हालो’ लगाई गई है। ताकि रेसर के सिर की सुरक्षा हो सके। टीम सिर्फ तीन पावर यूनिट का इस्तेमाल करेगी। इस बार सभी कारों में पिरेली कंपनी के टायर का प्रयोग होगा। एफआईए एफ-1 को प्रमोट करने के लिए मोटर रेसिंग से जुड़े 20 लड़के-लड़कियों का चुनाव करेगा। इन्हें रेस देखने का मौका मिलेगा।
दुनिया की टॉप-5 रेसिंग कार
अल्फा रोमियो 158/159- सबसे पहली यूरोपियन ग्रांप्री मंे इस्तेमाल। इसे चैंपियन जुआन मैनुअल फेंगियो ने प्रयोग किया था। 54 ग्रांप्री में से 47 जीतीं।
लोटस 72-फोर्ड-काॅसवर्थ 2993सीसी इंजन। 1970 में ट्रैक पर उतरी। यह लोटस 49 का अपडेटेड वर्जन। 1976 में आखिरी बार ट्रैक पर।
फरारी 312टी-पहली कार 312बी3 का अपडेटेड वर्जन था। फरारी के तीन रेसर ने 27 रेस जीतीं। 4 बार कंस्ट्रक्टर चैंपियन बनी।
रेड बुल आरबी7- न्यू जनरेशन की कार मिली सेकंड में जीत-हार का फैसला बदल सकती है। 19 में से 18 बार पोल पोजीशन।
फरारी एफ2002- शूमाकर की इस कार में 3000सीसी का इंजन है। इस कार ने 19 ग्रांप्री में हिस्सा लिया और 15 जीतीं।
पहले स्पीड नहीं, ज्यादा दूर तक चल पाने की क्षमता थी महत्वपूर्ण
फॉर्मूला-1 वर्ल्ड चैंपियनशिप पहली बार 1950 में हुई थी। इस सीजन की पहली रेस मई में सिल्वरस्टोन सर्किट (ब्रिटिश ग्रांप्री) में हुई। सीजन में 7 रेस हुईं। इसमें 14 टीमों ने हिस्सा लिया्। अल्फा रोमियो टीम के 44 साल के इटैलियन रेसर जियुसेप्पे फेरिना चैंपियन बने। रेस में थाईलैंड के प्रिंस और जैज म्यूजिशियन ने भी हिस्सा लिया था। हालांकि रेसिंग की शुरुआत 1887 में हुई थी।
तब कार की एबिलिटी को टेस्ट करने के लिए रेस कराई जाती थीं। उस दौरान लंबी-लंबी रेस होती थीं। तब स्पीड महत्वपूर्ण नहीं होती थी, बल्कि यह देखा जाता था कि कार वह दूरी पूरी कर पाती है या नहीं। शुरुआत में रेसर की सुरक्षा के लिए बहुत खास इंतजाम नहीं होते थे। इसलिए वर्ल्ड चैंपियनशिप रेस के 68 साल के इतिहास में अब तक 36 रेसर की ट्रैक पर रेस के दौरान मौत हुई है। वैसे, एफ-1 ट्रैक पर रेस के दौरान आखिरी मौत 1994 में आर्यटन सेना की हुई थी।
टॉप-5 रेसर
माइकल शूमाकर (जर्मनी)
मैनुअल फेंगियो (अर्जेंटीना)
एलेन प्रॉस्ट (फ्रांस)
लुईस हैमिल्टन (ब्रिटेन)
सेबेस्टियन वेटल (जर्मनी)
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