नई दिल्ली: पूर्वोत्तर के तीन राज्य मेघालय, नगालैंड और त्रिपुरा में हुए विधानसभा चुनावों का नतीजे आने लग गए हैं। बीजेपी पार्टी के लिए बड़ी खबर त्रिपुरा से आई है। जहां बीजेपी ने लेफ्ट के 25 साल के किले को ढ़हा कर अपना भगवा रंग फैला दिया।
शुरूआती रुझानों में बीजेपी को दो तिहाई बहुमत मिल रहा है। वहीं लेफ्ट के माणिक सरकार पिछड़ रहे हैं। वहीं नगालैंड में भी बीजेपी कड़ी टक्कर दे रही है और अभी सबसे आगे चल रही है। मेघालय में कांग्रेस अपना किला बचाने में कामयाब रही है।
प्रधानमंत्री पीएम ने ट्वीट करते त्रिपुरा के नतीजे को ऐतिहासिक जीत बताते हुए कहा कि ‘यह क्रूर ताकतों और डर की राजनीति पर लोकतंत्र की जीत है। आज डर पर शांति और अहिंसा हावी हुई है। हम त्रिपुरा को गुड गवर्नेंस देंगे।’ उन्होंने कहा कि हम जनता के सपनों और आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
इसी के साथ बीजेपी ने यह भ्रम भी तोड़ दिया कि बीजेपी केवल हिंदी भाषी राज्यों की पार्टी है। बीजेपी ने यह साबित कर दिया है कि वह पैन इंडिया यानी पूरे भारत की पार्टी है। आखिर बीजेपी ने कौन सी रणनीति अपनाई जो 25 साल पुरानी मानिक सरकार को त्रिपुरा से उखाड़ दिया है।
लेफ्ट की हार का बड़ा कारण-
लेफ्ट की हार का एक सबसे महत्वपूर्ण कारण है कि लोगों में लेफ्ट की सरकार को लेकर नाराजगी पिछले कुछ समय में ज्यादा बढ़ गई थी। सरकार पर आरोप लगते रहे हैं कि लेफ्ट पार्टी के काडर और अपने लोगों को फायदा पहुंचाया। बाकी सब को अलग कर दिया जाता है। लेफ्ट की पेट्रोनेज पॉलीटिक्स करती रही है। बीजेपी ने लोगों को यही दिखाया समझाया और लगातार त्रिपुरा में काफी आक्रामक अंदाज में चुनावी प्रचार किया। ये उसका नतीजा है जब सरकार यहां बनीं।
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राज्य में कई रैलियों को संबोधित किया। रैली में मोदी ने समझाया था कि त्रिपुरा को अब माणिक नहीं बल्कि हीरा की जरूरत है। उन्होंने HIRA का मतलब भी बताया। मोदी ने कहा कि H मतलब हाइवे, I मतलब आई-वे (I-way), R मतलब रोड, A मतलब एयरवे त्रिपुरा की जरूरत है।
बीजेपी की जीत का इस शख्स को मिला क्रेडिट-
नॉर्थ ईस्ट में बढ़े बीजेपी के प्रभाव के पीछे एक ऐसे शख्स का हाथ है जो खुद न तो कभी यहां से चुनाव लड़ा और न ही मीडिया में आया। फिर भी विरोधी दलों के पसीने छुड़ा दिए। इस शख्स का नाम है सुनील देवधर बताया जा रहा है और बीजेपी की जीत से ज्यादा सोशल मीडिया से लेकर चैनलों में बस ये ही शख्स छाया हुआ है। देवधर ने नॉर्थ ईस्ट में बीजेपी के लिए नई उम्मीद जगाई है। वाम सरकार को चुनौती देने का सेहरा भी बीजेपी सुनील देवधर के सिर ही बांधती है। बता दें देवधर हैं तो मराठी लेकिन काफी समय में यही सक्रिय हैं।
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