उत्तर-प्रदेश में बीते दिन अखिलेश यादव के शिवपाल बर्खास्ती दांव के बाद शिवपाल के रामगोपाल दांव के बाद अब पार्टी के एक बने रहने के आसार ना के बराबर हैं। इसी मुद्दे को लेकर आज पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव एक बैठक करने वाले हैं जिसमें कई बड़े फैसले निकलकर सामने आने की उम्मीद है।
एक नजर: इस कगार पर कैसे और क्यों पहुंची समाजवादी पार्टी?
- मुलायम परिवार में कल दिन भर बड़ी हलचल रही। इधर अखिलेश ने चाचा शिवपाल को अपने मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखाया तो उधर मुलायम ने अखिलेश के दूसरे चाचा रामगोपाल को पार्टी से ही निकाल दिया। परिवार और पार्टी टूटने का औपचारिक ऐलान होने से पहले मुलायम परिवार का हर सदस्य अपनी पूरी ताकत दिखाने में लगा था।
- सबसे पहले मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने विधायकों और एमएलसी की बैठक बुलाकर पार्टी में अपनी मजबूत पकड़ का सबूत पेश किया। विधायकों के बीच अखिलेश ने कड़े तेवर दिखाने की बात पहले ही कही थी जिसके बाद अखिलेश तुरंत हरकत में भी आ गए और तुरंत शिवपाल यादव को मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया। शिवपाल ही नहीं शिवपाल के करीबी तीन मंत्रियों नारद राय, ओम प्रकाश सिंह और शादाब फातिमा को भी अखिलेश ने बर्खास्त कर दिया।
अखिलेश के एक्शन के बाद शिवपाल यादव खेमा भी तुरंत हरकत में आ गया और शिवपाल ने मुलायम सिंह का चेहरा आगे करते हुए अखिलेश समर्थक और चचेरे भाई रामगोपाल यादव को पार्टी से बाहर कर दिया।
- पार्टी से निकाले जाने के बाद रामगोपाल यादव ने मुंबई से मुलायम सिंह यादव को चिट्ठी लिखकर भेजी। रामगोपाल ने मुलायम को अपना राजनीतिक गुरु बताते हुए कहा ‘नेताजी, इस वक्त जरूर कुछ आसुरी शक्तियों से घिरे हुए हैं। जब वह उन ताकतों से मुक्त होंगे तब उन्हें सच्चाई का अहसास होगा। मैं समाजवादी पार्टी में रहूं या ना रहूं इस धर्मयुद्ध में अखिलेश यादव के साथ हूं।’
अंत में पार्टी अध्यक्ष और समाजवादी परिवार की जड़ मुलायम सिंह यादव ने अजीत सिंह को रोते हुए कहा, ‘जो बाप का नहीं हुआ, वो बात का क्या होगा?’