लंदन: स्मार्टफोन को लेकर आपने कई खबरें सुनी होगी लेकिन अब वैज्ञानिकों ने बताया है की लिथियम-आयन बैटरियों से 100 से ज्यादा जहरीली गैसें निकलती है। जिसमें कार्बन मोनोऑक्साइड भी शामिल है। जिसकी वजह से आंखों, त्वचा और नाक में जलन की समस्या पैदा हो जाती है। चीन के इंस्टीट्यूट ऑफ एनबीसी डिफेंस एंड सिन्गुहा विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के अनुसार, अभी भी बहुत सारे लोग स्मार्टफोन के जरूरत से ज्यादा गर्म होने या खराब चार्जर से चार्ज करने के खतरों को लेकर अनजान हैं।
इंस्टीट्यूट ऑफ एनबीसी डिफेंस के प्रोफेसर और प्रमुख लेखक जी सन ने कहा कि आजकल दुनिया भर की बहुत सी सरकारें लिथियम-आयन की बैटरियों को ज्यादा सक्रियता से बढ़ावा दे रहे हैं। लिथियम ऑयन बैटरी का इस्तेमाल लाखों परिवार कर रहे हैं, इसलिए जरूरी है कि आम लोग इस ऊर्जा स्रोत के पीछे छिपे खतरे को समझें।
बैटरियों में विस्फोट के खतरे ने निर्माताओं को लाखों उपकरण वापस लेने को मजबूर किया। डेल कंपनी ने साल 2006 में लाखों लैपटॉप और बैटरी में आग लगने की घटनाओं के बाद साल 2016 में सैमसंग कपंनी स्मार्टफोन गैलेक्सी नोट 7 को अपने उपकरणों को वापस लेना पड़ा।
लेकिन जहरीली गैसों के उत्सर्जन और इसके उत्सर्जन के स्रोतों को अभी अच्छी तरह से समझा नहीं जा सका है। प्रोफेसर सन और उनके सहयोगियों ने कई कारकों की पहचान की है जो विषाक्त गैसों के उत्सर्जन की मात्रा को बढ़ा सकते हैं। उदाहरण के तौर पर एक पूरी तरह से चार्ज बैटरी करीब 50 प्रतिशत चार्ज बैटरी के मुकाबले ज्यादा विषैली गैसें उत्सर्जित करती हैं।
बैटरी में शामिल रसायन और उनकी चार्ज रिलीज करने की क्षमता भी जहरीली गैसें छोड़ने की मात्रा पर असर डालता है। इस अध्ययन के लिए करीब 20 हजार लिथियम आयन बैटरियों को दहन के बिंदु तक गर्म किया। इससे कई उपकरणों में विस्फोट हुआ और सभी में एक रेंज तक विषैली गैसों का उत्सर्जन हुआ।