22 साल में पहली बार ‘गुजरात चुनाव’ में मुस्लिम मुद्दा नहीं, जानिए इसकी वजह

गुजरात में मुस्लिमों की आबादी करीब 10% है। पर 1995 के बाद राज्य में पहली बार विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस ने मुस्लिमों को चुनावी एजेंडे से बाहर रखा है। भाजपा ने एक भी सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार नहीं उतारा है, वहीं कांग्रेस ने महज 6 मुस्लिमों को टिकट दिया है।

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अहमदाबाद: इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव में धर्म से ज्यादा जातीय राजनीति का कार्ड खेला जा रहा है। पिछले 22 साल में पहली बार राज्य में मुस्लिम वोटर्स किसी भी पार्टी के एजेंडे में शामिल दिखाई नहीं दे रहे हैं। भाजपा और कांग्रेस का सबसे ज्यादा फोकस पटेल, दलित, आदिवासी और ओबीसी समुदाय के वोटर्स पर है। इस बार भाजपा ने किसी भी मुस्लिम चेहरे को चुनावी मैदान में नहीं उतारा है, जबकि कांग्रेस ने महज 6 मुस्लिमों को उम्मीदवार बनाया है। गुजरात में करीब 9.6 फीसदी मुस्लिम आबादी है।

राज्य की 182 सीटों में से 25 सीटें मुस्लिम बहुल हैं। यानी इन सीटों पर मुस्लिम मतदाता हार-जीत में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। पिछले 37 साल में राज्य में सबसे अधिक 12 मुस्लिम विधायक 1980 में थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 2 मुस्लिम ही विधायक बने।

पाटीदार, दलित, ओबीसी पर फोकस 

कांग्रेसका फोकस जातियों पर है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस को समर्थन का एेलान कर चुके हैं। ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर, दलित नेता जिग्नेश पहले ही कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं। आदिवासी नेता छोटू वासावा भी कांग्रेस के साथ हैं। कांग्रेस घोषणा पत्र में भी मुस्लिमों के लिए खास घोषणा नहीं है।

मुस्लिम बहुल 25 में 17 सीट भाजपा के पास 
2012 के चुनाव में भाजपा ने 25 मुस्लिम बहुल सीटों में से 17 पर कब्जा किया था। 8 सीटें कांग्रेस को मिलीं थीं। गुजरात में करीब 20 फीसदी मुस्लिम भाजपा को वोट देते हैं। 2007 चुनाव तक मुस्लिम कांग्रेस का परंपरागत वोटर माने जाते थे। पर 2012 में भाजपा ने इसमें सेंधमारी की थी।

कांग्रेस ने श्वेता ब्रह्मभट्‌ट को बनाया कैंडिडेट 

अहमदाबाद की मणिनगर विधानसभा सीट से कांग्रेस ने आईआईएम-बी पासआउट श्वेता ब्रह्मभट्‌ट को मैदान में उतारा है। श्वेता पेशे से मैनेजिंग कंसलटेंट हैं। 2012 चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ इस सीट पर कांग्रेस से आईपीएस संजीव भट्‌ट की पत्नी श्वेता भट्‌ट ने चुनाव लड़ा था। श्वेता कहती हैं कि मैं 2012 में ‘स्टैंड अप इंडिया’ लोन लेकर बिजनेस करना चाहती थी, पर मुश्किलें आईं। इसलिए अब मैं समाज सेवा के लिए राजनीति में आई हूं।

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