जिम्बाब्वे में पहली बार तख्तापलट, राष्ट्रपति मुगाबे ने कहा था-मुझे गॉड ही हटा सकते हैं

7 साल पीएम रहे, 1988 से राष्ट्रपति हैं: अप्रैल1980 में ब्रिटेन से जिम्बाब्वे के आजाद होने के बाद से मुगाबे सत्ता में काबिज हैं। वह 1980 से 87 तक प्रधानमंत्री रहे। 1988 में संविधान संशोधन कर राष्ट्रपति बन गए।

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हरारे: 2008 में चुनाव के वक्त जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे ने कहा था कि उन्हें गॉड ही सत्ता से हटा सकते हैं। उ्हीं मुगाबे का मंगलवार देर रात सेना ने तख्तापलट कर दिया। वे घर में नजरबंद हैं। उनके करीबी वित्त मंत्री इग्नेशियस चोम्बो को भी गिरफ्तार कर लिया है। 93 वर्षीय मुगाबे की पत्नी ग्रेस मुगाबे को हिरासत में लिए जाने या नामीबिया भेजे जाने की अटकलें हैं। सेना ने इसे रक्तहीन सुधार बताया, लेकिन तख्तापलट से इनकार किया।

सरकारी टीवी चैनल जेडबीसी से बयान जारी कर सेना ने कहा कि ‘राष्ट्रपति के आसपास मौजूद अपराधियों को निशाना बनाने के लिए कार्रवाई की गई है। मिशन पूरा होते ही हालात सामान्य हो जाएंगे। यह सरकार पर सेना के नियंत्रण की कार्रवाई नहीं है।’ हालांकि जिम्बाब्वे के हालात तख्तापलट जैसे ही हैं। सेना ने राजधानी हरारे की सड़कों पर टैंकों से कब्जा कर लिया है। जेडबीसी के मुख्यालय को भी नियंत्रण में ले लिया। सेना की 100 से ज्यादा टुकड़ियां तैनात कर दी गई हैं। राष्ट्रपति के घर के पास विस्फोट और गोलीबारी की भी सूचना है।

37 साल से सत्ता पर काबिज थे रॉबर्ट मुगाबे-

देश में इस राजनीतिक संकट के लिए रॉबर्ट मुगाबे की पत्नी ग्रेसी को जिम्मेदार बताया जा रहा है। इसकी शुरुआत एक हफ्ते पहले ही शुरू हुई थी। जब रॉबर्ट ने अपनी पार्टी जनू-पीएफ के दूसरे सबसे बड़े नेता उपराष्ट्रपति इमर्सन मनंगावा को बर्खास्त कर दिया था। दरअसल, दिसंबर में जनू-पीएफ की सालाना कांग्रेस होने वाली थी। इसमें मुगाबे पत्नी ग्रेसी को उपराष्ट्रपति बनाने की घोषणा करने वाले थे। जिसे लेकर इमर्सन और पार्टी नेता सहमत नहीं थे।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक मुगाबे के 37 साल से चली रही सत्ता के अंत की पटकथा खुद ग्रेसी मुगाबे ने तैयार की। जुलाई 2018 में जिम्बाब्वे में राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। इसे लेकर पिछले कुछ समय से देश में चर्चा शुरू हो गई थी कि 93 साल के रॉबर्ट मुगाबे का अगला उत्तराधिकारी कौन होगा। जिसमें सबसे आगे उपराष्ट्रपति इमर्सन मनंगावा नाम का चल रहा था। ग्रेसी को भी दावेदार माना जा रहा था। कहा जा रहा है कि ग्रेसी ने जनू-पीएफ पार्टी की नेता बनना चाहती थीं, इसलिए उन्होंने मुगाबे से इमर्सन को बर्खास्त करवा दिया।

जिम्बाव्वे चेम्बर ऑफ कॉमर्स के सीईओ बोले-यह दो पार्टियों की लड़ाई का नतीजा, किसी को खतरा नहीं 

बुधवार को ही जिम्बाब्वे का बिजनेस डेलिगेशन अहमदाबाद आया है। इसमें शामिल जिम्बाब्वे नेशनल चेम्बर ऑफ कॉमर्स के सीईओ क्रिस्टोफर मुगागाने ने कहा कि वहां जो चल रहा है, वह दो पार्टियों के बीच की लड़ाई है। किसी को कोई खतरा नहीं है। अहमदाबाद के नॉन रेजिडेंट गुजराती सेंटर के चेयरमैन केएच पटेल ने कहा कि जिम्बाब्वे में कोई भी राजकीय संकट पैदा हो जाए, भारतीयों को कोई परेशानी नहीं आई। जिम्बाब्वे में 9000 भारतवंशी हैं, जिनमें अधिकतर गुजराती हैं। सभी सुरक्षित हैं।

रॉबर्ट मुगाबे: 93 साल की उम्र में भी अगला चुनाव लड़ना चाहते थे

रॉबर्ट गबरियल मुगाबे का जन्म 24 फरवरी 1924 को जिम्बाब्वे के कुतामा में हुआ था। उन्होंने फोर्ट हरारे यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की। वह कई स्कूलों में अध्यापक भी रहे। 1960 में उन्हें नेशनल डेमोक्रेटिक पार्टी का प्रमुख बनाया गया। 1962 में उन्हें जनू-पीएफ का जनरल सेक्रेटरी बनाया गया। वह जनू पार्टी के सह संस्थापक भी हैं। आजादी आंदोलन में वह कई साल तक जेल में भी रहे। जिम्बाब्वे के लोग उन्हें आजादी का हीरो मानते हैं।

गुरिल्लावार: 1980में आजादी के 14 साल बाद ह्वाइट रोडेशियन नेता इयान स्मिथ ने सरकार को चुनौती दी थी। मुगाबे ने स्मिथ के खिलाफ गुरिल्ला वार लड़ा।

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