बेटी बचाएं लेकिन किस-किस से और कहां-कहां?

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बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ एक ऐसा नारा जो आज हर एक इंसान के जुबान पर है। भारत ही नहीं, विदेशों में भी चर्चा जोरों पर है। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ को प्रोत्साहित करने के लिए ‘सेल्फी विद डॉटर’ भी खूब चला। लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर बेटियों के साथ सेल्फी सोशल मीडिया पर शेयर की, लेकिन इस नारे पर लगता है किसी ने अभी तक गौर नहीं किया है। ध्यान नहीं दिया तो कोई बात हमारे साथ मिलकर ध्यान दीजिए। बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ। शुरुआत पहली लाइन से करते हैं, बेटी बचाओ- इसका मतलब यह है कि बेटी बचाओ जो आप भी जानते हैं लेकिन दूसरा मतलब आप नहीं जानते हैं और ना ही आपने कभी जानने की कोशिश की। बेटी बचाओ, क्या इसका मतलब सिर्फ इतना है कि भ्रूण हत्या बंद करो। अगर आप भी सिर्फ इतना ही सोचते हैं तो इतना मानकर चलिए कि आप कुछ नहीं सोचते हैं और आपकी आंखों पर काली पट्टी बंधी है। पट्टी काली क्यों है इसका जवाब आपको आगे पढ़ने से मिलेगा या फिर मिल चुका होगा।

आज बात करते हैं इस मशहूर या यूं कहें तो अब जुमला बन चुके बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ नारे की। बेटी बचाओ की गहराई में जाते हैं। बेटी बचाओ लेकिन किस-किस से और कहां-कहां? यह सवाल इस नारे को जन्म देने वाले माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमाम राजनीतिक पार्टियों सहित देश के उन तमाम लोगों से है जिनकी जुबान पर कभी-ना-कभी यह नारा आया होगा। सवाल यह है कि बेटी बचाएं तो किस-किस से बचाएं, सड़क पर घूमते हुए दरिंदों से बचाएं, कॉलेज के गुंडों से बचाएं, तथाकथित बाबाओं से बचाएं, कोख में ही मार देने वाले मां-बाप से बचाएं, लड़की के साथ रात-दिन उसके साये की तरह रहने वाले अपने ही घर के दुःशासन से बचाएं, पार्क-मॉल में पिज्जा खाते हुए जीने-मरने की कसमें खाने वालों से बचाएं?

अभी हाल ही में घटी बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय की घटना की बात करें तो वहां की लड़कियों का आरोप था कि आए दिन लड़के लड़कियों के हॉस्टल के सामने हस्तमैथुन करते हैं, उन्हें राह चलते हुए छेड़ते हैं। तमाम कॉलेज में नासूर बन चुकी इस बीमारी की इलाज के लिए लड़कियों ने विरोध किया, क्योंकि आपकी और हमारी आंखों पर तो काली पट्टी बंधी है। हमें तो काली पट्टी की आड़ से ये सब देखने में मजा आता है। भले ही यह बात आपको काली मिर्च की तरह गले से नहीं उतरेगी, लेकिन इस घूंट को आपको पीना ही होगा, क्योंकि आप इसके गवाह रहे हैं। कॉलेज की तमाम लड़कियों ने कई दफा शिकायत के बाद भी स्थिति नहीं सुधरने के बाद विरोध प्रदर्शन शुरू किया। उनका कहना था कि शिकायत करने पर उनसे उलटा सवाल पूछा जाता है कि तुम लोग रात में और बेवक्त बाहर निकलती ही क्यों हो। मतलब लड़कियों के बाहर निकलने का वक्त निर्धारित है लेकिन लड़कों के हस्तमैथुन करने, छेड़खानी करने का ना तो वक्त निर्धारित है और ना ही स्थान।

विरोध का विकराल रूप भी इसलिए देखने को मिला क्योंकि पीएम मोदी बनारस की यात्रा पर थे। लड़कियों को उम्मीद थी कि उनका सांसद और प्रधानमंत्री उनको नासूर बीमारी से बाहर निकालेंगे, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। पीएम मोदी ने उनकी समस्याओं को सुनने के बजाय अपना रास्ता ही बदल लिया और दूसरे रास्ते से निकल गए। इस दौरान विरोध कर रही लड़कियों पर जानवरों की तरह लाठीचार्ज की गई। इस आंदोलन का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि लड़कियों के विरोध के बीच मोदी की यात्रा कहीं दब कर रह गई। पीएम के दो लफ्ज का लड़कियों ने इंतजार किया लेकिन लफ्ज नहीं निकले। वहीं अब सूत्रों से खबर मिली है कि मोदी ने इस समस्या को गंभीर बताया है और जांच का आदेश दिया है। आंदोलन और लाठीचार्ज के बाद जैसा कि सदियों से होता रहा है खानापूर्ति के लिए नए वीसी की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाला गया है और नए प्रॉक्टर के रूप में रोयाना सिंह को नियुक्त किया गया है। पद संभालने के बाद सिंह ने वादा किया है कि छेड़छाड़ को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। बता दें कि बीएचयू के 101 सालों के इतिहाल में पहली बार महिला प्रॉक्टर की नियुक्ति हुई है। मुझे लगता है कि इतना सबकुछ पढ़ने-जानने के बाद अब आप कम-से-कम अपनी काली पट्टी को तो उतार ही देंगे। आपको बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना के बारे में भी विस्तार से बताते चलें, क्योंकि इसके नाम पर भी आए दिन ठगी हो रही है। इसलिए इसके बारे में आपका जानना जरूरी है।

क्या है बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना?

इस योजना की शुरुआत पीएम मोदी ने 22 जनवरी 2015 में हरियाणा के पानीपत में की। इस योजना का मकसद देश में कम हो रही लड़कियों की संख्या के प्रति लोगों को जागरूक करना, बेटियों की सुरक्षा और भ्रूण हत्या को रोकना है। इस योजना के तहत 100 करोड़ रुपये की राशि वितरित की गई है।

 बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य और मान्यता :-

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का पूरा लक्ष्य है की बालिकाओं के जन्म पर खशियां मनाई जाएं न की पुराने और दकियानूसी विचारों में फंस कर बालिकाओं के हितों का हनन हो। इस योजना को बालिकाओं की शिक्षा आदि उद्देश्यों और दृष्टिकोणों के तहत शुरू किया गया था।

1.बालक बालिका में भेदभाव तथा लिंग परीक्षण को रोका जाये

2.बालिकाओं के अस्तित्व और सुरक्षा को सुनिश्चित करना

3.शिक्षा और सभी क्षेत्रों में बालिकाओं की भागीदारी सुनिश्चित

बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के तहत किसी भी तरह की नकद राशि का वितरण करने का कोई प्रावधान नहीं है। अगर आपसे कोई ऐसा कहता है तो आप सतर्क हो जाएं और इसकी शिकायत करें।

इस योजना के तहत किसी भी प्रकार की प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान नहीं है और ना ही इसके लिए किसी तरह के फॉर्म निकाले गए हैं। इनमें से बाकी सब तो अपनी जगह पर हैं। जो बेटियां इस दुनिया में आई ही नहीं हैं उनकी बात हम क्या करें जब जो दुनिया में हैं उनके लिए हमारी आंखों पर पट्टी बंधी है।

प्रदीप कुमार

डिस्क्लेमर : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं।

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