आरुषि हत्याकांडः तलवार दंपति बरी, जानिए यहां इस चर्चित केस में कब-क्या हुआ

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इलाहाबाद: नोएडा के बहुचर्चित आरुषि-हेमराज हत्याकांड मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपना अहम फैसला सुनाते हुए राजेश और नूपुर तलवार को मामले में बरी कर दिया है। इस मामले में न्यायमूर्ति बीके नारायण और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार मिश्र की खंडपीठ ने दोपहर करीब तीन बजे अपना फैसला सुनाते हुए दोनों को दोषी नहीं माना। दोनों फिलहाल डासना जेल में बंद हैं, जहां से उन्‍हें कल रिहा किया जा सकता है। खंडपीठ ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सीबीआई की जांच में कई कमियां थीं। मामले में तलवार दंपति को संदेह का लाभ मिला। न्‍यायालय ने अपने फैसले में कहा कि मां-बाप राजेश और नूपुर तलवार ने आरुषि को नहीं मारा।

इस मामले में आरोपी दंपती डॉ. राजेश तलवार और नुपुर तलवार ने सीबीआई अदालत की ओर से उम्रकैद की सजा के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दाखिल की थी।

नोएडा के मशहूर स्कूल डीपीएस में पढ़ने वाली आरूषि का मर्डर केस पूरे देश में काफी चर्चा में रहा। इस केस में दूसरे पल क्या हो जाए किसी को नहीं मालूम था। बता दें 15-16 मई, 2008 की रात को आरुषि की लाश नोएडा में अपने घर में बिस्तर पर मिली। इसके बाद एक-एक कर इतनी नाटकीय घटनाएं सामने आईं कि पूरा मामला किसी क्राइम थ्रिलर की फिल्म में बदल गया।

सब कुछ इतने शातिर तरीके से अंजाम दिया गया था कि सोचना भी मुश्किल था कि आखिर कातिल कौन हो सकता है। कत्ल के फौरन बाद शक घर के नौकर हेमराज पर जाहिर किया गया। लेकिन अगले दिन जब हेमराज की लाश घर की छत पर मिली तो ये पूरा मामला और घूम गया। इस हत्याकांड में नोएडा पुलिस ने 23 मई को डॉ. राजेश तलवार को बेटी आरुषि और नौकर हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था। इस मामले की जांच एक जून को सीबीआई को सौंप दी गई थी।

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सीबीआई की जांच के आधार पर गाजियाबाद की सीबीआई अदालत ने 26 नवंबर, 2013 को हत्या और सबूत मिटाने का दोषी मानते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद से तलवार दंपति जेल में बंद थे। उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी। खैर अब तलावर दंपति चार साल बाद बरी हो गए है।

पढ़िए केस का पूरा अपडेट-

2008

16- मई  : 14 वर्ष की आरुषि तलवार नोएडा में अपने घर के बेडरूम में मरी मिली। उसका गला कटा था। नौकर हेमराज पर शक आया।

17-मई  : हेमराज का शव तलवार के घर के टेरेस पर मिला।

23-मई  : आरुषि के पिता डॉ राजेश तलवार को यूपी पुलिस ने आरुषि और हेमराज की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया।

1-जून  : सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली।

13-जून : डॉ राजेश तलवार के कम्पाउंडर कृष्णा को सीबीआई ने गिरफ्तार किया। तलवार के दोस्त दुर्रानी के नौकर राजकुमार और तलवार के पड़ोसी के नौकर विजय मंडल को भी बाद में गिरफ्तार किया। तीनों दोहरे हत्याकांड के आरोपी बने।

12-जुलाई : राजेश तलवार गाजियाबाद की डासना जेल से जमानत पर रिहा।

12-सितंबर : कृष्णा, राजकुमार और विजय मंडल को लोअर कोर्ट से जमानत मिली। सीबीआई 90 दिन तक चार्जशीट फाइल नहीं कर सकी।

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2009

10-सितंबर : आरुषि हत्याकांड की जांच के लिए सीबीआई की दूसरी टीम बनी।

2010

29-दिसंबर : सीबीआई ने आरुषि हत्याकांड में अदालत में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी।

2011

25- जनवरी : राजेश तलवार ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ लोअर कोर्ट में प्रोटेस्ट पिटीशन दाखिल की।

9- फरवरी :  लोअर कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज की, आरुषि के मां-बाप, राजेश और नुपुर तलवार को हत्या और सुबूत मिटाने का दोषी माना।

21- फरवरी : डॉ राजेश और नुपुर तलवार ट्राइल कोर्ट के समन को रद्द करवाने हाइकोर्ट गए।

18 मार्च : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने समन रद्द करने की तलवार की गुजारिश खारिज की और उन पर कार्यवाही शुरू करने को कहा।

19- मार्च : तलवार सुप्रीम कोर्ट गए, जिसने उनके खिलाफ ट्राइल को स्टे कर दिया।

2012

6- जनवरी : सुप्रीम कोर्ट ने तलवार की अर्जी खारिज की और ट्राइल शुरू करने की इजाजत दी।

11- जून : गाजियाबाद में विशेष सीबीआई जज एस लाल के सामने ट्राइल शुरू हुआ।

2013

10- अक्टूबर : फाइनल आर्गयुमेंट शुरू हुए।

25 -नवंबर : तलवार दंपति को गाजिय़ाबाद की स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने दोषी पाया और उम्र कैद की सजा सुनाई।

2014

जनवरी : तलवार दंपत्ति ने लोअर कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।

2017

11- जनवरी : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलवार की अपील पर फैसला सुरक्षित किया।

01-अगस्त: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि तलवार की अपील दुबारा सुनेंगे क्योंकि सीबीआई के दावों में विरोधाभास हैं।

08-सितंबर : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरुषि हत्याकांड में फैसला सुरक्षित किया।

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