नई दिल्ली: आस्था के नाम पर हिंदुस्तान के हर कोने में अपनी एक दुकान है। जिसे लोग प्रथा का नाम देते है। असल में कई प्रथाएं राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा प्रतिबंधित भी की गई लेकिन इसके बावजूद ये प्रथा जोरों-शोरों से निभाई जाती है। ऐसी ही एक घिनौनी प्रथा है देवदासी। जहां देवी के नाम लड़कियों के कमर के ऊपर कपड़े उतार दिए जाते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार 200 साल से ऐसी मान्यता लगभग दक्षिण भारत के 60 से ज्यादा गांवों में चली आ रही है।
दरअसल, दक्षिण भारत में नवरात्र के समय देवियों के रूप में उन लड़कियों की पूजा करने की परंपरा है, जिन्हें अभी तक पीरिएड्स न आए हो। इससे मिलती जुलती कन्या पूजन की प्रथा उत्तर भारत में भी होती है। लेकिन तमिलनाडु के मदुरै में इस रस्म को निभाने का तरीका बहुत खराब है। यहां लड़कियों को धर्म के नाम पर सेक्स के लिए समर्पित कर दिया जाता है। इस प्रथा को 1988 में गैरकानूनी घोषित किया जा चुका है। इसके बावजूद ये प्रथा हर साल निभाई जाती है।
अभी हाल ही में एनएचआरसी ने कहा, “दक्षिण भारत के मंदिरों में लड़कियों को दुल्हन के कपड़ों में सजाकर बैठाया जाता है, बाद में उनके कपड़े उतरवा लिए जाते हैं, ये प्रतिबंधित देवदासी प्रथा का ही एक रूप है।” एनएचआरसी ने एक बयान में कहा,”यहां की लड़कियों को परिवार के साथ रहने और शिक्षा हासिल करने की अनुमति नहीं दी जाती है। उन्हें जबरन मंदिरों में रहने के लिए भेज दिया जाता है। इन्हें सार्वजनिक संपत्ति समझी जाती है। ऐसा माना जाता है कि इनका यौन शोषण करने की सबको छूट है।”
मदुरै के मंदिर में भी सात लड़कियों को देवी की तरह मंदिर में बैठाया गया। सातों बच्चियों को कमर से ऊपर कोई कपड़ा नहीं पहनाया गया था। इन्हें 15 दिन तक पुरुष पुजारी के साथ इसी हाल में रहना होता है। कमर से ऊपर गहने पहनाकर सार्वजनिक रूप से बैठाने के पीछे लोगों का तर्क है कि बच्चियों को देवी प्रतिमा की तरह सजाया गया है।
एनएचआरसी की रिपोर्ट में तमिलनाडु में 15 दिनों तक चलने वाले त्यौहार का जिक्र किया गया है. जिसमें स्थानीय देवी की धूमधाम से पूजा की जाती है। इसके बाद समुदाय की ओर से चुनी गईं सात लड़कियों को मंदिर में रहने के लिए कहा जाता है। मंगलवार को इस त्यौहार का समापन हुआ।
हालांकि, तमिलनाडु सरकार ने इस प्रथा के रूप में लड़कियों के यौन शोषण के आरोपों से इनकार किया है। मदुरै के डीएम के वीरा राव ने कहा कि चाइल्ड प्रोटेक्शन टीम ने मंदिर का दौरा किया है। वहां लड़कियों की देखभाल के लिए उनके माता-पिता हैं।
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