तस्लीमा ने कहा, ममता बनर्जी किसी मुस्लिम कट्टरपंथी कम नहीं

लेखिका ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी के कार्टून बनाने पर लोगों को गिरफ्तार तक किया गया। राज्य के लोग ममता से खुश नहीं है।

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नई दिल्ली: लेखिका तस्लीमा नसरीन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तुलना मुस्लिम कट्टरपंथियों से की है। ANI की को दिए अपने इंटरव्यू में तस्लीमा ने कहा कि ममता बनर्जी ही हैं जिन्हें उनका पश्चिम बंगाल में घुसना मंजूर नहीं है। ममता बनर्जी पर आरोप लगाते हुए उन्होंने मेरे साथ वहीं किया जो पूर्व वाम सरकार ने मुस्लिम वोटों के चक्कर में किया था और अब ममता भी उनके ही रास्ते पर चलने लगी हैं।

आगे उन्होंने कहा, मेरे राज्य से निकाल दिए जाने से उन्हें मुस्लिम वोट नहीं मिल सकते ये जितना जल्दी वो समझ जाए। राज्य सरकार पर मानवाधिकारों के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि ममता बनर्जी मानवाधिकारों की रक्षा करने वाली हैं।

लेखिका ने आरोप लगाया कि ममता बनर्जी के कार्टून बनाने पर लोगों को गिरफ्तार तक किया गया। राज्य के लोग ममता से खुश नहीं है। इससे पहले रोहिंग्या मुद्दे पर बोलते हुए ममता बनर्जी ने कहा था कि राज्य सरकार आतंक को लेकर कोई समझौता नहीं कर सकती। उन्होंने कहा, ‘अगर कोई आतंकी है तो उस पर कार्रवाई होगी, लेकिन आम लोगों को तकलीफ नहीं होनी चाहिए।’

उधर, केंद्र सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को वापस म्यांमार भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है। सरकार का कहना है कि इन शरणार्थियों के अवैध रूप से भारत में आने से भारतीय नागरिकों के मूल अधिकार प्रभावित होंगे और देश की सुरक्षा के लिए खतरा भी पैदा होगा। इस मुद्दे पर राय रखते हुए ममता बनर्जी ने कहा था, ‘हम संयुक्त राष्ट्र की रोहिंग्या मुसलमानों की मदद करने की अपील का समर्थन करते हैं।

हम मानते हैं कि सभी आम लोग आतंकवादी नहीं हैं। हम इसे लेकर चिंतित हैं।’ पिछले महीने पश्चिम बंगाल की सरकार ने घोषणा करते हुए कहा था कि वह शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) की ओर से दिए गए पहचान पत्र नाबालिग रोहिंग्या बच्चों में बांटेगी। यूएनएचसीआर ने इसके लिए राज्य सरकार को लिखा था।

गौरतलब है कि पिछले दिनों तस्लीमा ने अपने ट्विटर पर लिखा कि, ‘बांग्लादेश ने रोहिंग्या लोगों को सिर छिपाने के लिए जगह दी है। अगर ये लोग मुस्लिम न होकर हिंदू, बौद्ध, ईसाई या यहूदी होते तो? ये छत इंसानियत के लिए नहीं बल्कि वोट के लिए दी गई है।’ इसके बाद कई लोगों ने नसरीन के बात पर सहमति जताई तो कई लोगों ने उन्हें सलाह दी कि वो इस मामले को धर्म से ना जोड़े।

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