गोरखपुर हादसा: डॉक्टर कफील खान गिरफ्तार, 6 आरोपी अभी भी फरार

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उत्तरप्रदेश: गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौतों का सिलसिला जारी है। ऐसे में एसटीएफ टीम ने लखनऊ से डॉक्टर कफील खान को गिरफ्तार कर लिया। बताया जा रहा है कफीक कहीं भागने की फिराक में था। बता दें इससे पहले 29 अगस्त को एसटीएफ ने पूर्व प्रिसिपल डॉ. राजीव मिश्र और डॉ. पूर्णिमा शुक्ला को कानपुर में गिरफ्तार कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल जा चुके हैं। इस मामले में अभी भी 6 आरोपी फरार चल रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, 100 बेड वार्ड के अधीक्षक रहे डॉ कफील खान के घर केस दर्ज होने के बाद से पुलिस छह बार दबिश दे चुकी थी। पुलिस ने कहा था कि अगर डॉ कफील सात दिन के अंदर सरेंडर नहीं करते हैं। तो फिर वह अलग से कार्रवाई करेंगी। पुलिस ने उनकी पत्नी से बातचीत कर सहयोग की भी अपील की थी। लेकिन फरार डॉ. कफील सामने नहीं आए. हालांकि इस दौरान वे सोशल मीडिया के जरिए ही वह अपने को बेगुनाह बताते रहे। फाइनली कानून की नजर से कौन बच पाया है जो कफील बचते।

क्या मामला है डॉ कफील का-

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, डॉ कफील बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन्सेफेलाइटिस डिपार्टमेंट के चीफ नोडल ऑफिसर हैं लेकिन वो मेडिकल कॉलेज से ज्यादा अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए जाने जाते हैं। उनपर आरोप है कि वो अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर चुराकर अपने निजी क्लीनिक पर इस्तेमाल किया करता थे, जानकारी के मुताबिक कफील और प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के बीच गहरी साठगांठ थी और दोनों इस हादसे के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। लेकिन हादसे के बाद से ही उन्हें फरिश्ते की तरह दिखाया गया था, कहा जा रहा है कि इसमें उन्होंने अपने पत्रकार दोस्तों की मदद ली।

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डॉ कफील का विवादों से पुराना नाता:
अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक डॉक्टर कफील बलात्कार का आरोपी है। एक मुस्लिम महिला नर्स ने उस पर अपने क्लीनिक में बलात्कार का आरोप लगाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में कफील एक साल तक जेल की हवा भी खा चुका है। पीड़ित नर्स जब शिकायत दर्ज कराने थाने गई तो उसे भगा दिया गया। पता चला कि डॉक्टर साहब समाजवादी पार्टी के करीबी हैं और पुलिस उनके खिलाफ एक्शन नहीं ले सकती।
बाबा राघव दास (BRD) मेडिकल कॉलेज में 7 अगस्त से लेकर 12 अगस्त तक 30 बच्चों समेत 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी थी। आरोप है कि ये मौतें हॉस्पिटल में ऑक्सीजन की सप्लाई बंद होने की वजह से हुईं। सप्लाई कंपनी ने कहा 14 बार नोटिस भेजा गया लेकिन मेडिकल प्रशासन ने सुनवाई नहीं की। यूपी सरकार ने इसके जांच के आदेश दिए इसमें से 9 आरोपी सामने आए। बता दें मासूमों की मौत का सिलसिला अभी भी जारी है।

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