ये है टॉयलेट एक नफरत कथा: रोज धमकियां, 12 केस दर्ज

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तमिलनाडु की दिव्या भारती को रोज धमकी भरे फोन आ रहे हैं। रेप, एसिड अटैक और हत्या तक की धमकियां दी जा रही हैं। उनके खिलाफ 12 केस दर्ज किए गए हैं। उन्हें राज्य छोड़ने तक पर मजबूर किया गया। आरोप ये है कि उन्होंने जातीय और सामुदायिक नफरत भड़ाकाने की कोशिश की। इन आरोपों के पीछे है, उनकी बनाई एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म और एक यूट्यूब वीडियो। दरअसल भारती ने तमिल भाषा में एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म बनाई है, काक्कूस। इसका मतलब है, टॉयलेट।

भारती के अनुसार जिस गंदगी को हम देखना तक नहीं चाहते देश के करीब आठ लाख लोग रोज उसे हमारे लिए अपने हाथों से साफ कर रहे हैं, मेनहोल में उतर रहे हैं। इस गंदगी के बीच ही उनका पूरा जीवन निकल जाता है और इसी में उनकी मौत हो जाती है। यही फिल्म का विषय है। 2013 में सुप्रीम के कोर्ट के आदेश के बाद देश में हाथ से मैला सफाई पर प्रतिबंध है। अगर कोई ऐसा करवाता है तो 5 साल की जेल का प्रावधान है। इसके बावजूद हाथ से मैला साफ करना जारी है।

फिल्म इस साल 26 फरवरी को पहली बार चेन्नई में प्रदर्शित हुई। एक कल्चरल ग्रुप ने इसकी अगली स्क्रीनिंग चार मार्च को नागरकोइल में रखी। लेकिन ऐसा हो नहीं सका, क्योंकि विरोध के कारण तिरुनेलवल्ली में पुलिस को लगा कि इससे कानून और व्यवस्था का संकट पैदा हो सकता है। इसके बाद कोयमबटूर में फिल्म का प्रदर्शन होना था, लेकिन इस पर भी रोक लग गई। कई तरह की आपत्तियां इस पर लगाई जाती रहीं। कभी कहा गया कि फिल्म का सर्टिफिकेट नहीं लिया गया है तो कभी कहा गया कि भारती नक्सली बैकग्राउंड से हैं। लेकिन बड़ा बदलाव आया 13 जुलाई के बाद। अन्ना यूनिवर्सिटी के 15 सेनेटरी कर्मचारियों ने डीन के खिलाफ पुलिस में अमानवीय व्यवहार की शिकायत की।

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चेन गिरवी रख बनाई फिल्म:

भारती के पति काला गोपाल ने फिल्म बनाने में उनकी मदद की। संसाधन के नाम पर उनके पास था, 9 हजार रुपए का कैमरा था। 30 हजार रुपए का लोन लेने के लिए उन्होंने अपनी दो चेन गिरवी रखीं। इसके अलावा 30 हजार रुपए क्राउड फंडिंग से जुटाए। दो वर्षों तक तमिलनाडु भर में घूमे और सफाई कर्मचारियों से बात की। इस दौरान 25 शहरों और कस्बों में वे गए। भारती बताती हैं कि फिल्म की शूटिंग के दौरान कई बार गंदगी देखकर उन्हें उल्टी तक हो जाती थी। 14 जून को यू्ट्यूब पर जारी होने के बाद से अब तक इस फिल्म को करीब चार लाख बार देखा जा चुका है।

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भारती कम्यूनिस्ट पार्टी की सदस्य:

भारती कम्यूनिस्ट पार्टी से जुड़ी हैं और एक बार 2015 में वे एक विरोध प्रदर्शन में शामिल हुईं थी। सीवर की सफाई के दौरान दो सफाई कर्मियों की मौत हो गई थी। इसी दौरान उन्हें एक समस्या पर फिल्म बनाने का विचार आया था। फिल्म का नाम काक्कूस रखने के पीछे वे घटना बताती हैं। बात 2016 की है। उन्होंने फिल्म की शूटिंग शुरू कर दी थी। बालमुरुगन नाम के एक सफाईकर्मी की सेप्टिक टेंक में सफाई के दौरान जहरीली गैसे से मौत हो गई थी। उसकी दो बेटियां थी। जब भारती उसके परिवार से मिलने पहुंची तो पता चला कि लोग इन सफाईकर्मियों के बच्चों को काक्कूस कहकर पुकारते हैं। इसके बाद उन्होंने फिल्म का नाम काक्कूस कर दिया।

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