मिलिए इंडिया के रियल लाइफ ‘फुनसुख वांगड़ू’ से, देखें VIDEO भी

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त्रिपुरा: श्यामलदास रांचोड़दास चांचड़ या फुनसुख वांगड़ू…इन दो नामों को बॉलीवुड क्या आप भी नहीं भूल सकते। हम बात कर रहे हैं निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा की फिल्म 3 इडियट्स की। अब शायद आपको याद आया। तो आज हम आपको बताते है जो अपनी असली जिंदगी में इस फिल्मी करैक्टर को पूरा करता है।
उद्धब भराली जो अपनी असल जिंदगी के फुनसुख वांगड़ू हैं। जिन्होंने 140 से ज्यादा पेटेन्ट और अविष्कार अपने नाम किए है। असाम के लखीमपुर के रहने वाले उद्धब को कई अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है। आइए जानते हैं भारत के असली हीरो की पूरी कहानी…
उद्धब बचपन से ही बहुत होशियार थे लेकिन उनको पढ़ाई के लिए कई परेशानियों का सामना करना पड़ा था। घर की आर्थिक स्थिति सही नहीं होने की वजह से उद्धब को इंजनियरिंग की पढ़ाई बीच में ही छोड़नी पड़ी। इसके अलावा उनके पिता के बिजनेस में घाटे की वजह से उनके घर पर बैंक का कर्जा था। उनके ऊपर जिम्मेदारियों के चलते ही उद्धव की एक सफल संशोधक के रूप में पहचान हुई।
उद्धव ने मात्र 23 साल की उम्र में पॉलीथिन बनाने की एक मशीन मशीन बनायी थी। उसके बाद 2005 में राइस पाउंडिंग मशीन बनाने के बाद नेशनल इनोवेशन फाउंडेशन अहमदाबाद की नजर में आए। उसके बाद उद्धब ने खास तौर पर खेती के लिए काम में आने वाले ऐसे अनेक प्रकार की मशीने बनाईं। अमेरिका के इंजीनियर 30 साल मेहनत करके जो अनार के छिलके निकालने की मशीन नहीं बना सके वो मशीन उद्धब ने बनाईं और वो उनका सबसे फेमस इनोवेशन था। इसी मशीन को नासा और एमआईटी जैसी बड़ी संस्था ने नवाजा और भराली को पूरी दुनिया जानने लगी।
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आज कई देशो से उन्हें अलग-अलग मशीन बनाने के काम दिए जाते है उनकी और भी फेमस मशीन है जैसे अनार की तरह सुपारी तोड़ने की मशीन, विकलांगो के लिए बनायीं मैकेनाइज टॉयलेट और चाय की पत्ती से चाय पाउडर बनाने की मशीन।
ऐसी बहुत सी मशीन बनाने के बाद भी उद्धब ने कोई भी मशीन जरुरत मंद और गरीब लोगों को बेचीं नहीं बल्कि उन्होंने उन मशीनों को फ्री में ही दे दिया। उद्धब गरीबों, किसानों और औरतों की मदद के लिए भी जाने जाते हैं।
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